उत्तर प्रदेश सरकार जहां एक ओर एक करोड़ लोगों को रोजगार देने के लिए कमर कस रही है और आगामी 26 जून को प्रधानमंत्री मोदी की मौजूदगी में प्रदेशव्यापी अभियान छेड़ने जा रही है वही दूसरी और मंडी समिति के 1200 आउटसोर्सिंग कर्मचारियों पर बेरोज़गारी की तलवार लटक गई है।
राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के महामंत्री अतुल मिश्रा ने बताया कि राज्य कृषि उत्पादन मंडी परिषद के निदेशक ने 16 मई को समस्त परिषदीय कार्यालयों और समस्त मंडी समितियों में नियमित पदों के सापेक्ष रखे गए आउटसोर्सिंग कर्मियों की सेवाओं को 30 जून से समाप्त किए जाने के आदेश दिए हैं । इस आदेश से कर्मचारियों में काफी रोष है। इस निर्णय से प्रदेश के 1200 कर्मचारी प्रभावित होंगे जो पिछले 5-6 सालों से अपनी सेवाएं दे रहे थे वह अब जुलाई से अपने घर बैठेंगे।
परिषद के अध्यक्ष सुरेश रावत ने मुख्यमंत्री से अपील की है कि इस कोरोना काल जैसी वैश्विक महामारी में जब काम की कमी है और काम मिलना मुश्किल हो रहा है।तब अल्प वेतनभोगी आउटसोर्सिंग कर्मचारियों की सेवा समाप्ति के आदेश उचित नही है।जबकि मौजूदा समय में उत्तर प्रदेश सरकार प्रवासियों को भी रोज़गार उपलब्ध कराने हेतु संकल्पित है। साथ ही मुख्यमंत्री से निवेदन किया अल्प वेतनभोगी कर्मियों के भविष्य के लिए विकल्प निकाला जाए चाहे वह सेवा समाप्ति के आदेश निरस्त कर के हो अथवा कहीं और समायोजन करके हो ।
आउटसोर्सिंग कर्मचारियों की सेवा के लिए स्थाई नीति की मांग
उन्होंने आउटसोर्सिंग कर्मचारियों की भर्ती सेवा सुरक्षा, समय से भुगतान, पीएफ कटौती, नियमित नियुक्तियों में वरीयता व उनके उज्जवल भविष्य आदि के लिए स्थाई नीति की मांग की और कहा कि बीती 09 अक्टूबर 2018 को राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के साथ हुई बैठक जोकि मुख्य सचिव की अध्यक्षता में सम्पन्न हुई में तीन माह के अंदर स्थाई नीति बनाने के लिए अपर मुख्य सचिव नियुक्ति एवं कार्मिक की अध्यक्षता में उच्च स्तरीय कमेटी का गठन मुख्य सचिव द्वारा किया गया था। जिसमें वित्त, ब्यूरो, सेवायोजन के प्रमुख सचिव सदस्य थे।
इस सहमति के बाद कमेटी द्वारा नीति का निर्माण भी पूरा कर लिया गया लेकिन मंत्रिपरिषद से अनुमोदन नही हुआ जिसके कारण आज तक आउटसोर्सिंग कर्मियों की कोई नीति प्रभावी नहीं हो सकी है। जिसके कारण कई विभागों के कर्मचारियों को बिना किसी ठोस कारण के सेवा से हटाया जा रहा। ऐसे कर्मियों के एक ही विभाग में एक ही पद के अलग-अलग वेतन निर्धारित है।कर्मियों का वेतन का भुगतान समय से नही हो रहा है और पीएफ कटौती की रसीद नही देने जैसी समस्याओं से कर्मचारियों को रोज जूझना पड़ रहा है।