अर्जित अवकाश से संबंधित नियम वित्तीय हस्त पुस्तिका खंड दो भाग 2 से 4 के अध्याय -10 तक में प्रावधान किया गया है।
अहर्ता :-
अर्जित अवकाश स्थायी तथा अस्थायी दोनो प्रकार के सरकारी सेवकों को देय है। (वित्तीय हस्त पुस्तिका खंड दो भाग 2 से 4 के मूल नियम 81-ख (1) सहायक नियम 157 -क (1)
स्थायी सरकारी कर्मचारियों को अर्जित अवकाश प्रदान किया जाता है। जिसके सम्बन्ध में मूल नियम 81-ख (1) में निम्नलिखित प्रावधान किया गया है:
(1) प्रत्येक कैलेण्डर वर्ष में दो छमाही किश्तों में इकतीस दिन का अर्जित अवकाश अग्रिम रूप से जमा किया जाएगा। प्रत्येक कैलेण्डर वर्ष की पहली जनवरी को सोलह दिन का और पहली जुलाई को पन्द्रह दिन का अर्जित अवकाश जमा किया जायेगा।
(2) वर्ष की पहली छमाही की समाप्ति पर सरकारी सेवक के लेखे में जमा अर्जित अवकाश को अगली छमाही में इस शर्त के अधीन जोड़ दिया जायेगा कि इस प्रकार जोड़ा गया तथा अगली छमाही में जमा अवकाश 180 दिन की अधिकतम सीमा से अधिक न हो। अधिकतम सीमा “[300] दिन की है।
1 जनवरी, 1978 को या उसके बाद नियुक्त किसी सरकारी सेवक की स्थिति में, उसके अवकाशं लेखे में प्रत्येक पूर्ण कैलेन्डर मास की सेवा के लिए, जो उससे उस कैलेण्डर वर्ष की छमाही में की जानी प्रत्याशित है, जिसमें वह नियुक्त किया गया है, ढाई दिन प्रतिमास की दर से अर्जित अवकाश जमा किया जायेगा।
(3) जब कुल अर्जित अवकाश *[तीन सौ],शा० स० सा-4-393/दस-99-200788, दिनांक 1 जुलाई, 1999 द्वारा 240 दिन के स्थान पर प्रतिस्थापित।] हो जाय, तब सरकारी सेवक ऐसा अवकाश अर्जित नहीं करेगा। यह सीमा पहले 180 दिन थी, जिसे 1 जनवरी, 1987 से बढ़ाया गया है।
(4) उक्त खण्ड (1) तथा (2) के अधीन जमा किये गये अर्जित अवकाश में से पिछली छमाही के दौरान उपभोग किये गये असाधारण अवकाश की अवधि के दसवें भाग तक कम कर दिया जायेगा, जो पन्द्रह दिन की अधिकतम सीमा के अधीन हो।
(5) ऐसे सरकारी सेवक के मामले में, जो किसी कारण से किसी विशिष्ट छमाही में सरकारी सेवक न रह जाय, अर्जित अवकाश उसके सेवक न रहने के दिनांक तक प्रत्येक पूर्ण कैलेण्डर मास के लिए 2 की दर पर जमा किया जाएगा। ऐसे मामलों में उस विशिष्ट छमाही के प्रारम्भ से उसके सरकारी सेवक न रह जाने के दिनांक तक उपभोग किये गये असाधारण अवकाश के कारण कटौती उस विशिष्ट छमाही के लिए उसके अवकाश लेखे में जमा किये गये अर्जित अवकाश से की जाएगी। यदि पहले से उपयोग किया गया अर्जित अवकाश इस प्रकार उसे देय जमा अवकाश से अधिक हो, तो अधिक आहरित किये गये अवकाश वेतन,
यदि कोई हो, के सम्बन्ध में आवश्यक समायोजन किया जाएगा।
(6) अर्जित अवकाश जमा करते समय एक दिन के भाग को निकटतम दिन पर पूर्णाकित कर दिया जाएगा।
(7) यदि कोई सरकारी सेवक किसी छमाही के अन्तिम दिन को अवकाश पर हो, तो वह कैलेण्डर वर्ष की अगामी छमाही के प्रथम दिन को अपने अवकश लेखे में जमा किये जाने वाले अर्जित अवकाश का उपभोग इस प्रतिबन्ध के अधीन रहते हुए करने का हकदार होगा कि अवकाश स्वीकृत करने के लिए सक्षम प्राधिकारी को यह विश्वास करने का कारण है कि सरकारी सेवक अवकाश की समाप्ति पर कर्त्तव्य पर वापस लौट आयेगा।
(8) सक्षम प्राधिकारी के अधीनस्थ सरकारी सेवक के सम्बन्ध में सक्षम प्राधिकारी द्वारा जारी किये गये अर्जित अवकाश स्वीकृत करने वाले आदेश में उस समय सम्बन्धित सरकारी सेवक के लेखे में जमा अर्जित अवकाश का अवशेष दर्शित किया जाएगा।
(9) मूल नियम 67 और 86 के उपबन्धों के अधीन रहते हुए-
(क) अर्जित अवकाश की अधिकतम अवधि, जो उसे एक समय में स्वीकृत की जा सकती है, एक सौ बीस दिन होगी, यदि वह एशिया में व्यतीत की गयी हो।
(ख) अर्जित अवकाश एक सौ बीस दिन से अधिक के लिए स्वीकृत किया जा सकता है, किन्तु एक सौ अस्सी दिन से अधिक नहीं, यदि इस प्रकार स्वीकृत समस्त अवकाश या उसका कोई भाग एशिया के बाहर व्यतीत किया गया हो किन्तु भारत में व्यतीत किये गये अवकाश की अवधि का सम्पूर्ण योग एक सौ बीस दिन की सीमा से अधिक नहीं होगा।
प्रतिबन्ध यह भी है कि दीर्घावकाश में कार्य करने वाले सरकारी सेवक की स्थिति में-
(1) उसे स्वीकृति किये जाने वाले अर्जित अवकाश की अवधि में से कार्य के प्रत्येक वर्ष के, लिए दीर्घावकाश के, तीस दिन घटा दिये जायेंगे।
(2) यदि सरकारी कार्य के कारण वह किसी वर्ष पूरा दीर्घावकाश न ले सके, तो उसे स्वीकृत किये जाने योग्य अर्जित अवकाश में से तीन दिन का वह भाग घटा दिया जायेगा, जो उस अनुपात के बराबर हो, जो अनुपात उपभोग किये गये दीर्घावकाश के भाग का सम्पूर्ण दीर्घावकाश से हो।
(3) यदि सरकारी कर्मचारी किसी वर्ष दीर्घावकाश न ले, तो स्वीकृत किये जाने वाले अर्जित अवकाश में कोई कटौती नहीं की जायेगी।
(4) दीर्घावकाश को किसी प्रकार के अवकाश के साथ मिलाकर या उसके अनुक्रम में लिया जा सकता है, किन्तु प्रतिबन्ध यह है कि संयुक्त रूप से लिया गया दीर्घावकाश तथा अर्जित अवकाश एक समय में स्वीकृत किये जाने योग्य अवकाश से अधिक नहीं होगा, सिवाय उस दशा के, जबकि अवकाश उच्चतर प्राविधिक अर्हताओं के लिए लिया गया हो, और ऐसी स्थिति में अवकाश 270 दिनों तक हो सकता है।
अस्थायी तथा स्थानापन्न सेवा द्वारा अर्जित अवकाश :
अस्थायी तथा स्थानापन्न सरकारी सेवकों को भी अर्जित अवकाश की सुविधा उपलब्ध है, जिसके सम्बन्ध में सहायक नियम 157 (क) (1) में प्रावधान किया गया है। इस नियम के अनुसार अस्थायी या स्थानापन्न सेवक अपनी निरन्तर सेवा के प्रारम्भ होने की तिथि से किये गये कार्य की अवधि के 1/11 भाग के बराबर अवकाश अर्जित करेगा। लेकिन अवकाश अर्जित करने पर निम्नलिखित प्रतिबन्ध है:-
(1) जब उसके द्वारा उपार्जित अवकाश का योग 180 दिन हो जाएगा, तो वह ऐसा अवकाश अर्जित करना बन्द कर देगा।
(2) मूल नियम 67 (जिसमें यह प्रावधान है कि अवकाश लेने का दावा अधिकार के रूप में नहीं किया जा सकता) तथा 86 (क) (जिसमें यह प्रावधान है कि अनिवार्य सेवानिवृत्ति की तिथि के बाद कोई अवकाश स्वीकार नहीं किया जा सकता) के प्रावधानों के अधीन:-
- उसे एक बार अधिक से अधिक १20 दिन की अवधि का अर्जित अवकाश स्वीकृत किया जा सकता है, यदि वह एशिया में व्यतीत की जाय,
- 20 दिनों से अधिक का अर्जित अवकाश, परन्तु 80 दिनों से अधिक नहीं, उसे तब स्वीकृत किया जाएगा, यदि इस प्रकार स्वीकृत सभी अवकाश या उसका कोई -भाग एशिया के बाहर व्यतीत किया जाय, परन्तु भारत में व्यतीत किये गये अवकाश का योग 420 दिनों से अधिक न हो।
दीर्घावकाश वाले विभाग में कार्यरत सरकारी कर्मचारी के मामले में यह भी प्रतिबन्ध है कि–
(1) उसको स्वीकार किये जाने योग्य अर्जित अवकाश में प्रतिवर्ष के कर्त्तत्य के लिए तीस दिन कम कर दिया जाएगा, जिस वर्ष वह सम्पूर्ण दीर्घावकाश का उपयोग करे।
(2) यदि किसी वर्ष सरकारी कार्य के कारण उसे पूर्ण दीर्घावकाश का उपयोग करने से रोक दिया जाता है, तो उसे स्वीकार किये जाने योग्य अर्जित अवकाश में 30 दिन के उस भाग के बराबर कम कर दिया जाएगा, जो उस अनुपात के बराबर होगा, जो उपयोग किए गए दीर्घावकाश का पूर्ण दीर्घावकाश के साथ होगा।
(3). यदि किसी वर्ष यह दीर्घावकाश का उपभोग स्वयं नहीं करता है, तो उसे स्वीकार किये जाने योग्य अर्जित अवकाश में कोई कटौती नहीं की जाएगी।
(4) इन नियमों के अधीन दीर्घावकाश किसी भी प्रकार के अवकाश के संयोजन या क्रम में लिया जा सकता है।
प्रतिबन्ध यह है कि दीर्घावकाश की सम्पूर्ण अवधि तथा सम्मिलित रूप से लिये गये अर्जित अवकाश की अवधि, चाहे अर्जित अवकाश अन्य के संयोजन में उस क्रम में लिया जाय या नहीं, इस नियम के उप-नियम (१) के प्रथम प्रतिबन्ध के अधीन उसे एक समय में स्वीकार्य अर्जित अवकाश से अधिक नहीं होगा,
सिवाय उस स्थिति के, जबकि यह उच्च प्राविधिक योग्यता प्राप्त करने के लिए लिया जाय, उस सीमा में इसकी सीमा 270 दिनों से अधिक होगी।
अवकाश लेखा :-
अर्जित अवकाश के संबंध में सरकारी सेवकों के सेवा पुस्तिका में अवकाश लेखे प्रपत्र -11 घ में रखे जाते हैं। (मूल नियम 81 -ख (1)(8)
अवकाश वेतन
अवकाश काल में सरकारी सेवक को अवकाश पर प्रस्थान के ठीक पहले प्राप्त होने वाले वेतन के बराबर अवकाश वेतन ग्रहाय होता है । मूल नियम 87 -क(1) तथा सहायक नियम 157 -क (6)
अवकाश वेतन अग्रिम रूप से देय :-
शासनादेश संख्या ए-1-1688/दस-3-14) 65 दिनांक 19 अक्टूबर, 1978 के अनुसार सरकारी कर्मचारियों का उनके अवकाश पर जाने के समय अवकाश वेतन अग्रिम धनराशि भुगतान करने की अनुमति निम्न शर्तों के अधीन दी जा सकती है।
- यह अग्रिम धनराशि कम से कम 30 दिन या एक मास से अधिक की अवधि के केवल अर्जित अवकाश या निजी कार्य पर अवकाश के मामले में देय होगी।
- यह अग्रिम धनराशि ब्याज रहित होगी।
- अग्रिम की धनराशि अन्तिम बार लिये गये मासिक वेतन, जिसमें मंहगाई भत्ता, अतिरिक्त मंहगाई भत्ता (अन्य भत्ते छोड़कर) भी सम्मिलित होंगे।
- उपरोक्त प्रस्तर एक में उल्लिखित प्रकार की अवधि यदि 30 दिन से अधिक और 120 दिन से अधिक न हो तो उस दशा में भी पूरा अवकाश अवधि का. लेकिन एक समय में केवल एक माह का अवकाश वेतन अग्रिम स्वीकृत किया जा सकता है।
- अवकाश वेतन अग्रिम से सामान्य कटौतियां कर ली जानी चाहिए।
- यह अग्रिम धनराशि स्थायी तथा अस्थायी सरकारी कर्मचारी को देय होगी। किन्तु अस्थायी कर्मचारी के मामले में यह धनराशि वित्तीय हस्त पुस्तिका खण्ड 5 भाग 1 के पैरा 242 में दी गई अतिरिक्त शर्तों के अधीन मिलेगी।
- जिन अधिकारियों के वेतन पर्ची निर्गत करने का प्राविधान है ऐसे अधिकारी को भी अग्रिम धनराशि लेने के लिए प्राधिकार पत्र की आवश्यकता नहीं होगी। भुगतान स्वीकृति के आधार पर किया जायेगा।
- वित्तीय हस्त पुस्तिका खण्ड-5 भाग-1 के पैरा 249(ए) के अधीन सरकारी कर्मचारियों के लिए अग्रिम धनराशियां स्वीकृत करने के लिए सक्षम अधिकारी अवकाश वेतन का अग्रिम भी स्वीकृत कर सकता है। यह प्राधिकारी अपने लिए भी ऐसी अग्रिम धनराशि स्वीकृत कर सकता है।
- इस पूरी अग्रिम धनराशि का समायोजन सरकारी कर्मचारी के अवकाश वेतन के प्रथम बिल से किया जायेगा। यदि पूरी अग्रिम धनराशि का समायोजन इस प्रकार नहीं हो सकता है तो शेष धनराशि की वसूली वेतन या अवकाश वेतन से अगले भुगतान के समय की जाएगी
- शासनादेश संख्या सा-4-438/दस-2000-203-86 दिनाँक 03 जुलाई,2000 द्वारा 300 दिन तक का अर्जित अवकाश नकदीकरण विभागाध्यक्ष द्वारा स्वीकृत किया सकता है।
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