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परिवीक्षाधीन तथा प्रशिक्षुओं,मानदेय आधार पर कार्य करने वाले सरकारी कर्मचारियों का अवकाश का अधिकार

मूल नियम 104 के अनुसार परिवीक्षाधीन कर्मचारी तथा प्रशिक्षु अपनी परिवीक्षा तथा उम्मीदवारी की अवधि में निम्नलिखित अवकाश के अधिकारी होंगे-

  • (क) यदि उन्हें भारत के स्थायी सेवा करने के आशय से ठेके पर इग्लैण्ड में नियुक्त किया गया हो या उन्हें इग्लैण्ड में सृजित किये गये ऐसे पद पर नियुक्त किया गया हो, जिसके स्थायी होने जाने की निश्चित सम्भावना हो, तो वे-
    • (i) ऐसे अवकाश के अधिकारी होंगे, जो उनके ठेके में नियुक्त हो या जब कोई ऐसा निर्धारण न किया गया हो, तब वे-
      • (अ) परिवीक्षाकाल 3 वर्ष से अधिक होने की स्थिति में उसी अवकाश के अधिकारी होंगे,जो उनको तब प्रदान किया जाता, जब वे इस पद स्थायी रूप से नियुक्त किये गये होते,
      • (ब) परिवीक्षा काल 3 वर्ष से कम होने की स्थिति में कर्त्तव्य पर व्यतीत अवधि के ग्यारहवें भाग के बराबर औसत वेतन पर अवकाश के अधिकारी होंगे और उसमें चिकित्सा प्रमाण-पत्र पर अर्द्ध औसत वेतन पर अवकाश वेतन भी जोड़ दिया जाएगा, लेकिन प्रतिबन्ध यह है कि कुल अवकाश 3 मास से अधिक न हो।
    • (ii) यदि नियुक्ति अन्य प्रकार से हुयी हो, तो वे ऐसे अवकाश के अधिकारी होंगे, जो इस सम्बन्ध में राज्यपाल द्वारा बनाये गये नियमों के अधीन देय हो।

परिवीक्षाधीन कर्मचारी को अर्जित अवकाश :

सहायक नियम 170 के अनुसार परिवीक्षाधीन कर्मचारी को अर्जित अवकाश स्वीकृत किया जा सकता है, यदि वह उन अवकाश नियमों के अन्तर्गत मान्य हो, जो उस पर लागू होते हैं यदि वह उस पद पर परिवीक्षा पर न होकर स्थायी रूप से नियुक्त होता।

प्रशिक्षुओं को अर्जित अवकाश :

सहायक नियम 172 के अनुसार प्रशिक्षुओं को निम्न प्रकार से अवकाश स्वीकृत किया जा सकता है :-
(क) प्रशिक्षुओं के किसी एक वर्ष की अवधि में एक महीने से अनधिक अवधि के लिए चिकित्सा प्रमाण-पत्र पर अर्द्ध वेतन के बराबर अवकाश वेतन पर अवकाश।
(ख) असाधारण अवकाश, जो तीन मास से अधिक न हो।

मानदेय आधार पर कार्य करने वाले सरकारी कर्मचारियों को अवकाशः

सहायक नियम 164 के अनुसार मानदेय आधार पर कार्य करने वाले सरकारी कर्मचारियों को वही अवकाश और उन्हीं शर्तों पर प्रदान किया जा सकता है, जो अंशकालिक न्यायिक अधिकारियों को प्रदान किया जाता है, लेकिन प्रतिबन्ध यह है कि वह अपना कार्य करने के लिए कोई सन्तोषजनक व्यवस्था कर दे,जिससे शासन को कोई अतिरिक्त व्यय न करना पड़े और उसके अवकाश की अवधि में पूरे मान देय का भुगतान उस व्यक्ति को किया जाएगा, जो उसके पद पर कार्य करे।