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अवकाश आवेदन एवं अवकाश हेतु सक्षम प्राधिकारी

अवकाश के लिए आवेदन के सम्बन्ध में निम्नलिखित प्रावधान है:-

(1) अवकाश या अवकाश के विस्तार के लिए आवेदन उस अधिकारी को दिया जायेगा, जो ऐसे अवकाश को प्रदान करने या अवकाश का विस्तार करने के लिए सक्षम हो (सहायक नियम 82) ।

(2) अवकाश के लिए राजपत्रित सरकारी कर्मचारी के आवेदन पत्र, जिनके अवकाश लेखे महालेखाकार या उनके निर्देश के अधीन रखे जाते हैं, सक्षम अधिकारी को उसी अधिकारी के माध्यम से प्रस्तुत किये जायेंगे (सहायक नियम 83)

(3) स्थायी या अस्थायी असैनिक सेवा में रखे गये कमीशण्ड चिकित्सा अधिकारी का चार महीने से अधिक के अवकाश के लिए या ऐसे अवकाश प्रसार के लिए आवेदन-पत्र स्थानीय प्रशासनिक चिकित्सा अधिकारी को प्रस्तुत करना चाहिए, जो उसे महानिदेशक भारतीय चिकित्सा सेवा को अग्रसारित कर देंगे। यदि जन सेवा को ध्यान में रखते हुए अवकाश स्वीकृत करना सम्भव हो, तो महानिदेशक उस आवेदन पर प्रति हस्ताक्षर कर देंगे अन्यथा वे प्रति हस्ताक्षर नहीं करेंगे। इनमें से प्रत्येक मामले में उनको उस आवेदन-पत्र को अवकाश स्वीकृत करने वाले सक्षम प्राधिकारी को निस्तारण के लिए प्रेषित कर देना चाहिए (सहायक नियम 85)।

प्राधिकारी, जिनके द्वारा अवकाश प्रदान किया जा सकता है :

मूल नियम 66 के अनुसार विकलांगता अवकाश तथा ऐसे अवकाश को छोड़कर, जो अनिवार्य सेवा-निवृत्ति की तिथि से आगे पड़ता हो, अन्य अवकाश शासन के ऐसे अधीनस्थ प्राधिकारियों द्वारा प्रदान किया जा सकता है, जिन्हें कि राज्यपाल नियम या आदेशों द्वारा निर्दिष्ट करें।

राज्यपाल ने इस सम्बन्ध में सहायक नियम 35, 36 तथा 37 को निर्मित किया है, जिसमें निम्न प्रावधान हैं:-

(1) अराजपत्रित कर्मचारी को विकलांगता अवकाश के अतिरिक्त अनुमन्य कोई भी अवकाश उस प्राधिकारी द्वारा प्रदत्त किया जा सकता है, जिसे उस कर्मचारी के पद को भरने की शक्ति होती है या वित्तीय हस्त पुस्तिका, खण्ड 2 के भाग 4 में वर्णित किसी अन्य सक्षम प्राधिकारी द्वारा प्रदान किया जा सकता है (नियम 35)।

(2) राजपत्रित सरकारी कर्मचारी को अवकाश देने के लिए साधारणतया शासन की स्वीकृति की अपेक्षा होती है, लेकिन वित्तीय हस्त पुस्तिका, खण्ड 2 के भाग 4 में वर्णित किसी सक्षम अधिकारी द्वारा भी उसमें वर्णित सीमा तक अवकाश स्वीकृत किया जा सकता है। राजपत्रित कर्मचारियों के अवकाश के सभी मामलों में महालेखाकार से पहले अवकाश की अनुमन्यता पर रिपोर्ट मंगा लेनी चाहिए (नियम 36)।

(3) राज्य के सभी विभागाध्यक्ष या अधिकारी अपने अधीनस्थ को 60 दिन तक का अवकाश स्वीकृत कर सकते हैं, यदि अवकाश प्राप्त करने वाले अधिकारी के स्थान पर किसी अन्य की नियुक्ति अपेक्षित न हो। देखें शासनादेश सं० (सामान्य-4) 1944/दस-66-73, दिनांक 16 अगस्त, 1973)।

(4) उक्त तीनों में वर्णित प्राधिकारी ऐसा अवकाश स्वीकृत नहीं कर सकते, जो उस तिथि से आगे बढ़ जाय, जिस तिथि को अनिवार्य सेवा-निवृत्त हो जाय। ऐसे मामलों में अवकाश प्रदान करने के लिए शासन की पूर्व स्वीकृति आवश्यक है (नियम 37)।