मुख्यमंत्री के निर्देश पर पूर्व मुख्य सचिव राजीव कुमार की अध्यक्षता में समिति गठित
लखनऊ:मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर उत्तर प्रदेश सरकार अपने कामकाज में खर्च घटाने के साथ कार्मिकों की दक्षता में सुधार करेगी। साथ ही उत्तर प्रदेश सरकार सार्वजनिक सेवाओं के संबंध में जनता के फीडबैक को अधिकारियों व संबंधित कार्यालयों के मूल्यांकन का हिस्सा बनाने और नवीनतम तकनीक व डिजिटल गवनेंस को अपनाकर शासन व्यवस्था में सुधार पर विचार कर रही है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर इस संबंध में सुझाव के लिए पूर्व मुख्य सचिव व यूपी रेरा के चेयरमैन राजीव कुमार की अध्यक्षता में गठित समिति को इसका जिम्मा सौंपा गया है। उत्तर प्रदेश सरकार शासन ने विभिन्न सरकारी विभागों में स्वीकृत पदों और कार्यरत कामकों की संख्या को तर्कसंगत बनाने के बारे में सुझाव देने के लिए गठित समिति को विभिन्न विभागों के काामकों को प्रभावी और दक्ष बनाने के साथ उनकी प्रभावशीलता व दक्षता के सटीक आकलन की व्यवस्था करने के बारे में भी सुझाव देने होंगे। उसे डिजिटल गवर्नेस के बारे में भी अपनी सिफारिशें देनी होगी।
विभागों के आकार को तर्कसंगत बनाने की शुरू हुई मुहिम।
कमेटी को मुख्य रूप से चार बिंदुओं पर सुझाव देने को कहा गया है।
पहला- विभागीय अधिकारियों व कर्मचारियों की संख्या का रेशनलाइजेशन (युक्तिकरण) | |
दूसरा- अधिकारियों व कर्मचारियों को अधिक प्रभावी व दक्ष बनाना तीसरा- अधिकारियों व कर्मचारियों की प्रभावशीलता व दक्षता के आकलन की व्यवस्था चौथा- डिजिटल गवनेस बनाने के संबंध में सुझाव देना |
इन कदमों के माध्यम से सरकार के अनावश्यक खर्च में कटौती लाने के प्रयास भी होंगे।
जनता का सेवायों के लिए दिया फीडबैक पर गंभीर सरकार।
गौरतलब है कि कोरोना आपदा के खिलाफ जंग लड़ने के लिए संसाधन जुटाने की खातिर सरकार का मितव्ययता पर जोर है। बीते दिनों 18/05/2020 को वित्त विभाग की ओर से जारी शासनादेश में कहा भी गया था कि टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल से अप्रासंगिक हो चुके पर्दो को चिहिनत कर समाप्त किया जाए। समाप्त किए जाने वाले इन पर्दो पर यदि कोई कर्मचारी कार्यरत है तो उसे अन्य पदों पर समायोजित किया जाए। अपर मुख्य सचिव नियोजन कुमार कमलेश ने सचिवालय के सभी विभागों को यह प्रश्नावली भेज कर 10 दिनों में जवाब मांगा है।
कामों की दक्षता बढ़ाने और सरकार के खर्च में कटौती के बारे में भी देगी सुझाव।
समिति इस सिलसिले में उत्तर प्रदेश सरकार के विभागों के अपर प्रमुख सचिव/ प्रमुख सचिव/सचिव के साथ बैठक भी करेगी। इसके बाद समिति विभागीय अपर मुख्य सचियों, प्रमुख सचियों या सचिवों के समूह के साथ बैठक करेगी। इसके बाद अपनी संस्तुतियां उत्तर प्रदेश सरकार को सौंपेगी। सरकार यह पता लगाना चाहती है कि कार्य के हिसाब से कहाँ कर्मियों की संख्या सीधे तौर पर कम की जा सकती है। किस तरह के काम बाहरी एजेसियों की देकर काम कम किया जा सकता है। जहां तकनीक का इस्तेमाल बढाकर कर्मचारी कम किए जा सकते है । किन-किन मदों के में कटौती की जा सकती।
खर्च घटाने हैं तो जमीनी सच्चाई समझे सरकार
राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद ने दक्षता परीक्षण समिति के गठन पर फिर सवाल उठाया है। साथ ही सरकार को सलाह दी है कि वह यदि ईमानदारी से सरकारी खर्च घटाना चाहती है तो उसे फिजूलखर्ची और अव्याव्हारिक सुझाव देने वाले अधिकारियों की सलाह पर भरोसा करने के बजाय जमीनी हकीकत समझकर फैसले करने होंगे। परिषद के अध्यक्ष हरिकिशोर तिवारी ने बुधवार को सरकार को पत्र लिखकर सलाह दी कि विभागीय एवं निगम स्तर पर खर्च कम करने और दक्षता परीक्षण के मानक पहले से उपलब्ध हैं। साथ ही समय-समय पर अनुपयोगी संसाधनों के साथ खर्च कम करने के तरीके भी कर्मचारी संगठनों की तरफ से सरकार के सामने रखे जा चुके हैं।
पर, वर्षो बीत जाने के बावजूद उन पर विचर नहीं किया गया। ऐसे में दक्षता परीक्षण के लिए अलग से समिति बनाने की जरूरत नहीं है। तिवारी ने कहा कि वास्तव में कई विभागों में सरकार पर खर्च का बोझ बढ़ाने वाले कई काम किए गए हैं और सरकार के सामने भ्रामक तथ्य रखकर उसकी आड़ में
अधिकारियों ने अपनी कमाई का रास्ता खोता है।