कोरोना वायरस से लड़ाई में पहले मोर्चे पर खड़े स्वास्थ्यकर्मियों के लिए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से 14 दिनों का पैसिव क्वरांटीन और कोविड-19 जांच की अनिवार्यता खत्म करने संबंधी नई व्यवस्था पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से जवाब मांगा है। न्यायमूर्ति अशोक भूषण, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति एमआर शाह की पीठ ने डॉक्टर आरुषि जैन द्वारा दाखिल अर्जी पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सुनवाई के दौरान केंद्र की ओर से पेश सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता को अगले सप्ताह तक जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया।
डॉक्टर ऑरुषि ने अपनी अर्जी में केंद्र की नई मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) में कोविड-19 की पहली कतार के स्वास्थ्यकर्मियों के लिए 14 दिन का अनिवार्य पैसिव क्वरांटीन समाप्त करने पर सवाल उठाया है। पीठ ने अपने आदेश में कहा कि अतिरिक्त दस्तावेज दाखिल करने की अनुमति दी जाती है। सॉलिसीटर जनरल के अनुरेध पर इस मामले को अगले सप्ताह सूचीबद्ध किया जाए ताकि वह इस संबंध में रिपोर्ट दाखिल कर सकें।शीर्ष अदालत ने 15 मई को केंद्र से कहा था कि कोरोना वायरस महामारी से प्रभावित मरीजों का उपचार कर रहे चिकित्सकों और स्वास्थ्यकर्मियों के अस्पताल के आसपास ही आवासों में पृथकवास के बारे में किए गए उपायों से उसे अवगत कराया जाए।
कोरोना वायरस की ड्यूटी करने वाले स्वास्थ्यकर्मियों होम क्वारंटीन पर नाराज।
कोरोना वायरस ड्यूटी करने वाले कर्मचारियों को 14 दिन घर में एकांत होम क्वारंटीन में रहने के आदेश का विरोध शुरू हो गया है । लोहिया व केजीएमयू की नर्सिंग एसोसिएशन ने चिकित्सा शिक्षा विभाग के मंत्री प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा व स्वास्थ्य विभाग के महानिदेशक को पत्र भेजकर स्वास्थ्यकर्मियों ने होम क्वारन्टीन का विरोध किया है । उन्होंने कहा है कि 99% कर्मचारी घर में परिवार के संग रहते हैं। जिनमें माता-पिता व बच्चे हैं । बहुत से संविदा कर्मचारी परिवार संग एक या दो कमरों के मकान में रहते हैं । ऐसे में होम क्वारंटाइन संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि कर्मचारी जान जोखिम में डालकर मरीजों की सेवा कर रहे हैं ।
इस तरह के आदेश से मनोबल गिर रहा है लिहाजा वर्तमान व्यवस्था ही लागू रहने दी जाए। दरअसल शासन ने पैसिव क्वारंटीन को खत्म कर दिया है। अब 14 दिन की ड्यूटी के बाद डॉक्टरों और पैरामेडिकल स्टाफ को अपने घर जाना होगा। कोविड वॉर्ड में ड्यूटी पूरी होने के बाद इन लोगों का कोरोना टेस्ट होगा। जिनकी रिपोर्ट पॉजिटिव आएगी, उन्हें कोविड अस्पताल में भर्ती करके उपचार किया जाएगा। जबकि निगेटिव वालों को घर पर ही रहना होगा। वहीं मंगलवार को आए राज्य सरकार के इस आदेश के बाद डॉक्टरों और पैरामेडिकल स्टाफ में काफी आक्रोश है। बुधवार को इस मुद्दे पर डॉक्टरों ने काफी हंगामा किया।
डॉक्टरों का कहना है कि अगर इस नियम को थोफा गया तो वह काम नहीं करेंगे। वहीं इस मामले को लेकर प्रांतीय चिकित्सक सेवा संघ ने फिलहाल कोई भी टिप्पणी करने से इनकार कर दिया है।