मातृत्व अवकाश वित्तीय हस्त पुस्तिका खंड 2 भाग 2 से 4 के अध्याय – 10 के मूल नियम 101 तथा सहायक नियम 153 तथा 154 के अंतर्गत प्रावधान किया गया है
मूल नियम 101 के अधीन राज्यपाल को सरकारी महिला कर्मचारियों को मातृत्व अवकाश प्रदान करने के सम्बन्ध में नियम बनाने की शक्ति दी गयी है, जिसके अनुसरण में राज्यपाल ने सहायक नियम 153 को निर्मित किया है, जिसमें निम्न प्रावधान किया गया है:
किसी महिला सरकारी कर्मचारी को, चाहे वह स्थायी हो या अस्थायी, प्रसूति अवकाश ऐसे पूर्ण वेतन पर, जो वह अवकाश पर जाने के दिनांक को प्राप्त कर रही हो, विभागाध्यक्ष द्वारा या किसी अवर प्राधिकारी द्वारा, जिसे इसके लिए शक्ति प्रदान की जाय, निम्नलिखित के अधीन रहते हुए प्रदान किया जा सकता है-
(1) प्रसवावस्था के मामलों में प्रसूति अवकाश की अवधि अवकाश के प्रारम्भ के दिनांक से 180 दिन(शासनादेश संख्या-जी-2-2017/दस-2008 216/79, दिनांक 08/12/2008 द्वारा 135 दिन के स्थान पर 180 हुआ ) करने तथा विशिष्ट परिस्थितियों यथा संतान की बीमारी अथवा परीक्षा आदि में 18 वर्ष की आयु तक देखभाल हेतु महिला सरकारी सेवक को सम्पूर्ण सेवाकाल में अधिकतम दो वर्ष (730 दिन) का बाल्य देखभाल अवकाश हो सकती है। यह दोनों व्यवस्थायें (प्रसूति अवकाश एवं बाल्य देखभाल अवकाश) गोद ली गयी संतानों के मामलों में भी लागू होगी। लेकिन प्रसूति अवकाश के लिए निम्नलिखित शर्ते हैं-
(क) प्रसूति अवकाश सम्पूर्ण सेवा के दौरान, जिसके अन्तर्गत अस्थायी सेवा भी है, तीन बार से अधिक प्रदान नहीं किया जा सकता,
(ख) यदि किसी महिला सरकारी सेवक के दो या अधिक जीवित बच्चे हो, तो उसे प्रसूति अवकाश प्रदान नहीं किया जा सकता। फिर भी यदि महिला सरकारी सेवक के दो जीवित बच्चों में से कोई भी बच्चा जन्म से किसी असाध्य रोग से पीड़ित हो या विकलांग हो या अपंग हो या बाद में किसी असाध्य रोग से पीड़ित हो जाय या विकलांग अथवा अपंग हो जाय, तो उसे अपवाद के रूप में इस शर्त पर, कि प्रसूति अवकाश सम्पूर्ण सेवा के दौरान तीन बार से अधिक स्वीकृत नहीं किया जाएगा, एक बच्चा और पैदा होने तक प्रसूति अवकाश स्वीकृत किया जा सकता है।
(ग) प्रसूति अवकाश तब तक स्वीकृत नहीं किया जाएगा, जब तक कि पूर्व में स्वीकृत प्रसूति अवकाश की समाप्ति के दिनांक से कम से कम दो वर्ष न व्यतीत हो गया हो।
(2) गर्भपात के मामलों में, जिसके अन्तर्गत गर्भस्राव भी है, कुल छः सप्ताह का अवकाश प्रदान किया जा सकता है, लेकिन अवकाश के आवेदन-पत्र के साथ प्राधिकृत चिकित्सक का प्रमाण-पत्र भी होना चाहिए। ऐसे अवकाश को प्रदान करते समय इस बात पर ध्यान नहीं दिया जाता कि उस महिला के कितने जीवित बच्चे हैं।अब गर्भपात/गर्भस्राव के प्रकरणों में मातृत्व अवकाश 3 से अधिक बार भी स्वीकृत किया जा सकता है।(शासनादेश संख्या – 4-84/दस-90-216-79, दिनाँक 03/05/1990 एवं मूल नियम 101,सहायक नियम 153 तथा ज़ी-4-394-216-79,दिनाँक 04/06/1999)
(3) प्रसूति अवकाश के सम्बन्ध में सहायक नियम 154 में निम्नलिखित प्रावधान है-
- (1) प्रसूति अवकाश को अवकाश के लेखे के आगे नहीं लिखा जाएगा और इस अवकाश को किसी अन्य प्रकार के अवकाश के साथ संयुक्त किया जाएगा।(सहायक नियम 154)
- (2) प्रसूति अवकाश के क्रम में नियमित अवकाश भी, नवजात शिशु की बीमारी की स्थिति में इस प्रतिबन्ध के अधीन स्वीकार किया जा सकता है कि महिला सरकारी कर्मचारी प्राधिकृत चिकित्साधिकारी का इस आशय का प्रमाण-पत्र प्रस्तुत करे कि बीमार शिशु को उसकी माता की व्यक्तिगत देखभाल की आवश्यकता है और शिशु के पास उसकी उपस्थिति नितान्त आवश्यक है।
- (3) अस्थायी महिला सरकारी कर्मचारी की स्थिति में प्रसूति अवकाश की अवधि उसकी नियुक्ति जारी रहने की सम्भावित अवधि से अधिक नहीं होगी।
स्वीकृता प्राधिकारी
यह अवकाश उस प्राधिकारी के द्वारा प्रदान किया जा सकता है जिसका कर्तव्य उस पद को, यदि वह रिक्त हो, भरने का होता है।
मातृत्व अवकाश संशोधन अधिनियम 2017
- सभी महिलाओं के लिए अवधि को बढ़ाकर 26 हफ्ते किया गया है। लेकिन दो या दो से अधिक बच्चों वाली महिलाएं 12 हफ्ते के मातृत्व अवकाश के लिए ही अधिकृत हैं।
- मातृत्व अवकाश संशोधन अधिनियम 2017 तीन महीने से कम आयु के बच्चे को गोद लेने वाली महिलाओं और कमीशनिंग करने वाली महिलाओं के लिए 12 हफ्ते तक के मातृत्व अवकाश को प्रस्तावित करता है। मातृत्व अवकाश की अवधि को उस तारीख से गिना जाएगा, जिस तारीख को गोद लेने वाली या कमीशनिंग करने वाली महिला को बच्चा सौंपा जाएगा।
- मातृत्व अवकाश संशोधन अधिनियम 2017 में 50 या 50 से अधिक कर्मचारियों वाले प्रत्येक प्रतिष्ठान (इस्टैबलिशमेंट) से अपेक्षा की गई है कि वह एक निर्धारित दूरी के अंदर क्रेश की सुविधाएं प्रदान करेगा। महिला कर्मचारियों को क्रेश में चार बार जाने की अनुमति दी जाएगी।
- अगर किसी महिला को सौंपे गए काम की प्रकृति ऐसी है कि वह घर से भी किया जा सकता है, तो नियोक्ता उसे घर से काम करने की अनुमति दे सकता है। यह नियोक्ता और महिला कर्मचारी द्वारा परस्पर सहमति से तय किया जा सकता है।
- मातृत्व अवकाश संशोधन अधिनियम 2017 में प्रतिष्ठान से अपेक्षा की गई है कि वह नियुक्ति के समय महिला को बिल के तहत प्रदत्त मातृत्व लाभ के संबंध में सूचना प्रदान करे। सूचना लिखित रूप में और इलेक्ट्रॉनिकली प्रदान की जानी चाहिए।
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