कर्मचारियों को निजी कार्य पर अवकाश प्रदान करने के सम्बन्ध में वित्तीय हस्त पुस्तिका खंड 2 भाग 2 से 4 के अध्याय 10 के मूल नियम 81-ख (3) में प्रावधान किया गया है, जिसके अनुसार स्थायी सरकारी कर्मचारियों को उनकी सम्पूर्ण सेवा के दौरान निजी कार्यों पर कुल तीन सौ पैंसठ दिनों का अवकाश प्रदान किया जा सकता है। इस सम्बन्ध में निम्नलिखित नियम है :-
- (1) सरकारी कर्मचारी प्रत्येक कैलेण्डर वर्ष में इकतीस दिन के निजी कार्य पर अवकाश का हकदार होगा।
- (2) प्रत्येक सरकारी सेवक के अवकाश लेखे में प्रत्येक कैलेण्डर वर्ष में निजी कार्य पर अवकाश दो छमाही किश्तों में अग्रिम रूप में जमा किया जाएगा। प्रत्येक कैलेण्डर वर्ष की पहली जनवरी को 16 दिन का और पहली जुलाई को 15 दिन का निजी कार्य पर अवकाश जमा किया जाएगा।
- (3) जब निजी कार्य पर अवकाश का योग तीन सौ पैंसठ दिन हो जाय, तो सरकारी सेवक ऐसा अवकाश अर्जित करना बन्द कर देगा।
- (4) वर्ष की पहली छमाही की समाप्ति पर किसी सरकारी सेवक के लेखे में जमा निजी कार्य पर अवकाश उस वर्ष की अगली छमाही में इस शर्त के अधीन अग्रनीत किया जाएगा कि इस प्रकार अग्रनीत अवकाश और अगली छमाही का जमा अवकाश 365 दिन की अधिकतम सीमा से अधिक न हो जाय।
- (5) सरकारी सेवक के अवकाश लेखे में प्रत्येक पूर्ण कैलेण्डर मास की सेवा के लिए, जो उससे उस कैलेण्डर वर्ष की छमाही में की जानी प्रत्याशित है, जिसमें वह नियुक्त किया गया है, 2.5 दिन प्रतिमाह की दर पर निजी कार्य पर अवकाश जमा किया जाएगा।
- (6) उपर्युक्त (1) और (2) के अधीन जमा निजी कार्य पर अवकाश में से पिछली छमाही के दौरान लिए गए असाधारण अवकाश की अवधि के दसवें भाग तक 15 दिन की अधिकतम सीमा के अधीन कम कर दिया जाएगा।
- (7) ऐसे सरकारी सेवक के मामले में, जो किसी विशिष्ट छमाही में सेवानिवृत्त हो जाने, त्यागपत्र दे देने, मृत्यु हो जाने या किसी अन्य कारण से सरकारी सेवक न रह जाय, उसके अवकाश लेखे में निजी कार्य पर अवकाश उस दिनांक तक, जब वह सरकारी सेवक न रह जाय, प्रत्येक पूर्ण कैलेण्डर मास के लिए 2.5 दिन की दर से जमा किया जाएगा। ऐसे मामलों में उस विशिष्ट छमाही के प्रारम्भ से उस दिनांक तक, जब वह सरकारी सेवक न रह जाय, लिए गए असाधारण अवकाश के कारण कटौती उस विशिष्ट छमाही के लिए उसके अवकाश लेखे में जमा किए गए निजी कार्य पर अवकाश से की जाएगी। यदि पहले लिया गया निजी कार्य पर अवकाश उसके खाते में इस प्रकार देय जमा अवकाश से अधिक है, तो अधिक लिए गए अवकाश वेतन, यदि कोई हो, के सम्बन्ध में आवश्यक समायोजन किया जाएगा। अतएव उस मास के सम्बन्ध में, जिसमें सम्बन्धित सरकारी सेवक सरकारी सेवा में न रह जाय, अवकाश वेतन/वेतन का कोई भुगतान करने से पूर्व सक्षम प्राधिकारी द्वारा सम्यक् रूप से यह सुनिश्चित किया जाएगा कि उसे निजी कार्य पर अवकाश इस प्रकार देय जमा अवकाश से अधिक स्वीकृत नहीं किया गया है और अवकाश वेतन का अधिक भुगतान नहीं किया गया है।
- (8) निजी कार्य पर अवकाश को जमा करते समय एक दिन के भाग को निकटतम दिन पर पूर्णांकित कर दिया जाएगा।
- (9) यदि कोई सरकारी सेवक किसी छमाही के अन्तिम दिन अवकाश पर हो,तो वह कैलेण्डर वर्ष की आने वाली छमाही के प्रथम दिनांक को अपने अवकाश लेखे में जमा किये जाने वाले निजी कार्य पर अवकाश इस शर्त पर लेने का हकदार होगा कि सक्षम प्राधिकारी को यह विश्वास करने का कारण हो कि सरकारी सेवक उस अवकाश के समाप्त होने पर कर्त्तव्य पर वापस लौट आएगा।
- (10) सक्षम प्राधिकारी द्वारा अपने अधीनस्थ सरकारी सेवकों के सम्बन्ध में निजी कार्य पर अवकाश स्वीकृत करने वाले प्रत्येक आदेश में सम्बन्धित सरकारी सेवक के लेखे में उस समय जमा निजी कार्य पर अवकाश के शेष को इंगित किया जाएगा।
- (11) किसी सरकारी सेवक को एक बार में निजी कार्य पर अवकाश स्वीकृत की जा सकने वाली अधिकतम अवधि, यदि वह भारत में व्यतीत की जाय, नब्बे दिन होगी। उसकी नब्बे दिन की अवधि से अधिक किन्तु एक सौ अस्सी दिन से अनधिक अवधि के लिए निजी कार्य पर अवकाश की स्वीकृति प्रदान
- की जा सकती है, यदि इस प्रकार स्वीकृत किया गया सम्पूर्ण अवकाश या उसका कोई भाग भारत के बाहर व्यतीत किया जाय, किन्तु भारत में व्यतीत किये गये इस प्रकार के अवकाश की अवधि कुल मिलाकर नब्बे दिन से अधिक नहीं होगी।
- (12) निजी कार्य पर कोई अवकाश तब तक स्वीकृत नहीं किया जा सकता, जब तक कि अवकाश स्वीकृत करने वाले सक्षम प्राधिकारी को यह विश्वास करने का कारण न हो कि सरकारी सेवक अवकाश समाप्त होने पर कार्य पर वापस लौट आएगा या जब तक कि उसकी सेवानिवृत्ति पूर्व अवकाश में सम्मिलित न कर ली जाय।
- (13) उन सभी मामलों में, जिनमें सरकारी सेवक ने निजी कार्य पर अवकाश का उपभोग कर लिया हो, इस प्रकार लिए गए अवकाश की अवधि को इस उप-नियम के अधीन अनुमन्य निजी कार्य पर अवकाश निकालने में गणना की जाएगी। इस प्रयोजन के लिए यह समझा जाएगा कि सरकारी सेवक ने अपनी निरन्तर सेवा के दिनांक से; चाहे व स्थायी रहा हो या अस्थायी, तीन सौ पैसठ दिन से अनधिक अवकाश अर्जित कर लिया है। यदि किसी सरकारी सेवक ने अपने मामले में तीन सौ पैंसठ दिन से अधिक का अवकाश लिया है, तो ऋणात्मक शेष का अधित्याग कर दिया जाएगा और वह आगे कोई अवकाश अर्जित नहीं करेगा। अन्य मामलों में, जहाँ पर सरकारी सेवक ने उस दिनांक से अनुमन्य अवकाश से अधिक, किन्तु तीन सौ पैंसठ दिन की सीमा से कम अवकाश का उपभोग किया है, उसका समायोजन उसके निजी कार्य पर अवकाश में किया जाएगा, जो उसके द्वारा बाद में अर्जित किया जाएगा।
अस्थायी या स्थानापन्न सरकारी कर्मचारियों को निजी कार्य से अवकाश:
सहायक नियम 157-क (3) के अनुसार अस्थायी या स्थानापन्न सरकारी कर्मचारी को उसकी सम्पूर्ण सेवा में निजी कार्य के लिए कुल मिलाकर 120 दिन का अवकाश स्वीकृत किया जा सकता है, लेकिन प्रतिबन्ध यह है कि यह अवकाश तब तक स्वीकार नहीं किया जाएगा, जब तक दो वर्ष की निरन्तर अस्थायी
सेवा पूर्ण हो गई हो। इस प्रकार का अवकाश उसके कर्तव्य पर व्यतीत की गयी अवधि के 1/11 भाग के बराबर अर्जित किया जाएगा और जब अर्जित किए गए अवकाश की अवधि 60 दिन हो जाएगी, तब वह ऐसा अवकाश अर्जित करना बन्द कर देगा।
लेकिन इस सम्बन्ध में निम्नलिखित प्रतिबन्ध है:-
(1) जिस पद से सरकारी कर्मचारी अवकाश पर जाय, उसके बने रहने की सम्भावना उसके कर्तव्य पर वापस आने तक हो, और
(2) सरकारी कर्मचारी द्वारा निजी कार्य पर लिए गए अवकाश की अवधि उसको देय अवकाश की गणना करने में गिना जाएगा।
अधिकतम अवकाश अवधि तथा देय अवकाश :
स्थायी सरकारी सेवक :
- यह अवकाश 365 दिन तक की अधिकतम सीमा के अधीन जमा किया जाता है।
- सम्पूर्ण सेवाकाल में कुल मिलाकर 365 दिन तक का ही अवकाश स्वीकृत किया जा सकता है।
- किसी एक समय में स्वीकृत की जा सकने योग्य अधिकतम सीमा निम्नानुसार हैं : पूरा अवकाश भारतवर्ष में व्यतीत किये जाने पर – 90 दिन पूरा अवकाश भारतवर्ष से बाहर व्यतीत किये जाने पर – 180 दिन (वित्तीय हस्त पुस्तिका खण्ड दो भाग 2 से 4 के मूल नियम 81 – ख (3)
अस्थायी सरकारी सेवक :
- अस्थायी सरकारी सेवकों के अवकाश खातों में निजी कार्य पर अवकाश किसी अवसर पर 60 दिन से अधिक जमा नहीं होगा।
- अवकाश लेखे में 60 दिन का अवकाश जमा हो जाने पर अवकाश जमा करना बन्द कर दिया है। अवकाश लेने के कारण अवशेष 60 दिन से कम हो जाने पर अवकाश जमा होना पुन प्रारम्भ हो जाता है, जो पुनः 60 दिन की अधिकतम सीमा के अधीन रहता है।
- अस्थायी सेवकों को निजी कार्य पर अवकाश तब तक स्वीकार्य नहीं होता है जब तक कि उनके द्वारा दो वर्ष की निरन्तर सेवा पूरी न कर ली गयी हो।
- सम्पूर्ण अस्थायी सेवाकाल में कुल मिलाकर 120 दिन तक का अवकाश प्रदान किया जा सकता है। अवकाश स्वीकृति आदेश में अतिशेष अवकाश इंगित किया जायेगा। (वित्तीय हस्त पुस्तिका खण्ड दो भाग 2 से 4 के सहायक नियम 157-क(3)
अवकाश लेखा
• अर्जित अवकाश के सम्बन्ध में सरकारी सेवकों की अवकाश लेखे प्रपत्र -11-ड में रखे जायेंगे।
वित्तीय हस्त पुस्तिका खण्ड दो भाग 2 से 4 के मूल नियम –81 ख (3)(दस)
अवकाश वेतन
- निजी कार्य पर अवकाश काल में वह अवकाश वेतन मिलता है जो अर्जित अवकाश के लिये अनुमन्य होने वाले अवकाश वेतन की धनराशि के आधे के बराबर हो। ( वित्तीय हस्त पुस्तिका खण्ड दो भाग 2 से 4 के मूल नियम 87 क(3) तथा सहायक नियम 157 क (6) (ग)
स्वीकृता प्राधिकारी
यह अवकाश उस प्राधिकारी के द्वारा प्रदान किया जा सकता है जिसका कर्तव्य उस पद को, यदि वह रिक्त हो, भरने का होता है।
ALSO READ :