(i) रोजगार अवकाश का तात्पर्य–
उत्तर प्रदेश सरकारी सेवक (रोजगार अवकाश) नियमावली, 2003 के नियम 3 (ख) के अनुसार “ रोजगार अवकाश ” का तात्पर्य ऐसे अवकाश से है जो सरकारी विभाग, अर्ध सरकारी विभाग, किसी निगम, परिषद्, किसी सार्वजनिक उपक्रम या उत्तर प्रदेश की राज्य सरकार के स्वामित्वाधीन या नियंत्रणाधीन किसी निकाय से भिन्न किसी संगंठन में किसी प्रकार के निजी व्यापार या कारोबार या रोजगार आदि करने के लिए सक्षम प्राधिकारी द्वारा किसी सरकारी सेवक को स्वीकृत किया जाए।
(ii) रोजगार अवकाश की शर्तें-
उत्तर प्रदेश सरकारी सेवक (रोजगार अवकाश) नियमावली, 2003 के नियम 5 के अनुसार रोजगार अवकाश के लिए निम्न शर्तें विहित की गयी है–
(1) सरकारी सेवकों को न्यूनतम तीन वर्ष की अवधि और अधितकम पाँच वर्ष, की अवधि का रोजगार अवकाश स्वीकृत किया जा सकता है। ऐसे सरकारी सेवकों को किसी भी दशा में तीन वर्ष पूरा करने के पूर्व रोजगार अवकाश से सरकारी सेवा में कार्य पर वापस आने की अनुमति प्रदान नहीं की जाएगी।
(2) समूह ““क”’ और समूह ““ख” के पदों के सरकारी सेवकों की दशा में राज्य सरकार और समूह “ ग” और समूह “ घ” के पदों के सरकारी सेवकों की दशा में विभागाध्यक्ष रोजगार अवकाश स्वीकृत/अस्वीकृत करने के लिए सशक्त होंगे।
(3) रोजगार अवकाश के दौरान सरकारी सेवक भारत या विदेश में कोई अन्य सेवा या स्व-रोजगार करने को स्वतंत्र होगा। रोजगार अवकाश पूरा होने पर और सरकारी सेवा में अपने पद का पुनः कार्यभार ग्रहण करने पर उसके द्वारा रोजगार अवकाश अवधि में किये गये कार्य और रोजगार का एक संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत करने की अपेक्षा की जायेगी।
(4) रोजगार अवकाश चाहने वाला सरकारी सेवक राज्य सरकार के अन्य विभाग या राज्य सरकार के स्वामित्व में, नियंत्रित या सहायता प्राप्त किसी निगम, मण्डल कम्पनी या स्वायत्तशासी संस्था, स्थानीय प्राधिकरण, स्थानीय बोर्ड, स्थानीय निकाय, समिति आदि में नियुक्ति के लिये पात्र न होगा। ऊपर उल्लिखित कार्यालयों और संस्थाओं में परामर्शदाता के रूप में भी कार्य करने के लिए पांत्र न होगा।
(5) रोजगार अवकाश के दौरान सम्बन्धित सरकारी सेवक अपने मूल वेतन की धनराशि और उस पर भत्तों (मँहगाई भत्ता, नगर प्रतिकर भत्ता एवं मकान किराया भत्ता आदि) जो उसे ऐसे अवकाश पर जाने के तत्काल पूर्व अनुमन्य था, के पचास प्रतिशत धनराशि पाने का हकदार होगा। सामान्य भविष्य निधि, सामूहिक बीमा योजना, मकान किराया और आयकर आदि की कटौती सम्बन्धित सरकारी सेवक के वेतन से नियमानुसार की जायेगी। रोजगार अवकाश की अवधि में किसी सरकारी सेवक की मृत्यु होने की दशा में वह नियमानुसार परिवार कल्याण योजना या सामूहिक बीमा योजना से सम्बन्धित प्रवृत्त नियमों के अधीन उपबन्धित लाभ पाने का हकदार होगा।
(6) सरकारी सेवक को अपने रोजगार अवकाश की अवधि में पूर्व आवंटित सरकारी आवासिक आवास बनाये रखने की अनुज्ञा दी जा सकती है। इस प्रयोजन के लिए उससे प्रथम तीन माह के लिए मानक किराया और उसके पश्चात् प्रचलित बाजार दर पर किराये का भुगतान करने की अपेक्षा की जायेगी।
(7) सरकारी सेवक, रोजगार अवकाश की अवधि में चिकित्सा प्रतिपूर्ति की सुविधा प्राप्त करने के लिए पात्र न होगा।
(8) रोजगार अवकाश की अवधि के दौरान किसी अन्य प्रकार के अवकाश की अनुमन्यता न होगी और ऐसी अवधि किसी अन्य प्रकार के अवकाश की पात्रता के लिए भी संगणित नहीं की जायेगी।
(9) रोजगार अवकाश की अवधि, वार्षिक वेतन वृद्धि प्रदान करने के प्रयोजनार्थ संगणित नहीं की जायेगी।
(10) रोजगार अवकाश के दौरान सम्बन्धित सरकारी सेवक की ज्येष्ठ प्रभावित न होगी किन्तु वह पदोन्नति का हकदार न होगा। यदि उससे कनिष्ठ व्यक्ति को पदोन्नत किया जा चुका है तो उसके रोजगार अवकाश से वापस लौटने पर उसको काल्पनिक पदोन्नति देने पर विचार किया जा सकता है।
(11) रोजगार अवकाश की अवधि को पेंशन के लिए अर्हकारी सेवा की संगणना के प्रयोजनार्थ नहीं गिना जायेगा।
(12) ऐसे सरकारी सेवक, जिन्होंने एक निश्चित अवधि के लिए अपनी सेवायें प्रदान करने के लिए सरकार के साथ कोई बन्ध-पत्र निष्पादित किया है, किसी नियत अवधि के समापन के पूर्व रौजगार अवकाश के लिए पात्र न होंगे।
(13) सरकारी सेवकों से उनके रोजगार अवकाश पर जाने के पूर्व स्वीकृत भवन निर्माण या वाहन क्रय इत्यादि के प्रयोजनार्थ ऋणों की वसूली रोजगार अवकाश की अवधि के दौरान नियमानुसार जारी रहेगी।
(14) सरकारी सेवक के किसी प्रकार के निजी व्यवसाय या कारोबार में संलग्न होने के सम्बन्ध में समय-समय पर यथासंशोधित उत्तर प्रदेश सरकारी सेवक आचरण नियमावली, 956 के उपबन्ध रोजगार अवकाश की अवधि के दौरान शिथिल बने रहेंगे। उक्त नियमावली के अन्य उपबन्ध प्रवृत्त रहेंगे।
(15) रोजगार अवकाश पर आने के पूर्व सरकारी सेवक द्वारा पारित पद रिक्त रखा जायेगा और किसी भी रीति में उसे भरा नहीं जायगा। किसी सरकारी सेवक को रोजगार अवकाश स्वीकृत करने के लिए सशक्त प्राधिकारी अवकाश की अवधि के दौरान उसका वेतन आहरित करने के लिए सक्षम होगा।
(16) कोई सरकारी सेवक, जो रोजगार अवकाश पर है, समय-समय पर यथासंशोधित उत्तर प्रदेश सरकारी सेवक त्याग-पत्र नियमावली, 2000 के उपबन्धों के अनुसरण में रोजगार .अवकाश की अवधि के दौरान किसी. भी समय त्याग-पत्र दे सकता है। कोई सरकारी सेवक, जो रोजगार अवकाश पर है और जिसने
पेंशन के प्रयोजनार्थ अर्हकारी सेवा की अपेक्षित समयावधि पूर्ण कर ली है रोजगार. अवकाश की अवधि के दौरान किसी भी समय सरकारी सेवा से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले सकता है जिसे कि स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति सम्बन्धी सरकार के स्थायी आदेशों के अनुसार विचार किया जायेगा।
(17) यदि पाँच वर्षों की अवधि के पश्चात् कोई सरकारी सेवक सरकारी सेवा में वापस नहीं लौटता है तो–
(क) यदि उसने पेंशन हेतु अर्हकारी सेवा की अपेक्षित समयावधि पूर्ण कर ली है, तो यह समझा जायेगा कि उसने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली है।
(ख) यदि उसके द्वारा पेंशन हेतु अंहकारी सेवा के अपेक्षित समयावधि पूर्ण नहीं की गई है, तो यह समझा जायेगा कि उसने सरकारी सेवा से त्याग-पत्र दे दिया है।