एक मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कर्मचारी को अपने ट्रांसफर का स्थान चुनने का अधिकार नहीं है । यह अधिकार सिर्फ नियोक्ता के पास है। नियोक्ता अपने हिसाब से और जरूरत मुताबिक अपने अधीन कर्मचारियों का ट्रांसफर कर सकता है ।
जानिए पूरा मामला
एक महिला लेक्चरर जिनकी प्रथम तैनाती वर्ष 2000 में जनपद गौतम बुद्ध नगर के एक राजकीय कॉलेज में हुई थी एवं जिन्होंने जनपद गौतमबुद्धनगर के उसी राजकीय कॉलेज में अपनी सेवा के 13 वर्ष सेवाएं दी।
वर्ष 2013 में महिला लेक्चरर का स्थानांतरण जनपद अमरोहा के राजकीय कालेज में हुआ। 4 वर्ष जनपद अमरोहा में सेवा देने के बाद वर्ष 2017 में उन महिला लेक्चरर द्वारा पुनः जनपद गौतमबुद्धनगर के उसी कॉलेज में ट्रांसफर हेतु आवेदन दिया गया जिसमें उन्होंने अपनी सेवा के 13 वर्ष दिए थे जिसे प्राधिकारी अधिकारी द्वारा सितंबर 2017 में निरस्त कर दिया गया।
स्थानांतरण निरस्त आदेश के बाद महिला लेक्चरर द्वारा इलाहाबाद उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर निरस्त स्थानांतरण आवेदन पर विचार की मांग की। महिला लेक्चरर के वकील की तरफ से दलील दी गई कि चूंकि उनको जनपद अमरोहा में 4 वर्ष हो गए हैं और शासन की पॉलिसी के तहत उनको स्थानांतरण का अधिकार है।
उच्च न्यायालय ने याचिका रद्द करते हुए कहा कि चूंकि महिला लेक्चरर ने पहले ही उस स्थान पर 13 वर्ष के लंबे अंतराल तक लगातार कार्य किया है। उस स्थान पर वह पुनः तैनाती की हकदार नहीं हैं और अगर याचिकाकर्ता ने वर्तमान तैनाती के स्थान पर अपेक्षित संख्या में वर्ष पूरे कर लिए हैं तो वह किसी अन्य स्थान पर स्थानांतरण के लिए अनुरोध कर सकती हैं लेकिन उस स्थान पर नहीं जहाँ वह पहले ही 13 साल कार्य करती रहीं हैं।
ट्रांसफर का स्थान चुनने का अधिकार कर्मचारी को नही
हाईकोर्ट के इसी आदेश के खिलाफ महिला लेक्चरर द्वारा वर्ष 2017 में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी जिसे सुप्रीम कोर्ट ने यह कहते हुए खारिज कर दिया की कर्मचारी ट्रांसफर करने या नहीं करने का दबाव नियोक्ता पर नहीं डाल सकता । ट्रांसफर स्थान का अधिकार नियोक्ता के पास होता है कि किस अधिकारी /कर्मचारी को किस स्थान पर तैनाती दी जाए।
transfer-is-not-a-right-of-employee1“It is not for the employee to insist to transfer him/her and/or not to transfer him/her at a particular place. It is for the employer to transfer an employee considering the requirement.”
SUPREME COURT