कर्मचारियों की भर्तियां होने से कम होगा कोरोना वॉरियर्स का भार
लखनऊ: कर्मचारी शिक्षक संयुक्त मोर्चा ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मांग की है कि जल्द से जल्द विभिन्न विभागों और निगमों में रिक्त पड़े पदों को भरा जाए। इससे कोरोना वॉरियर्स पर पडने वाले अत्यधिक दबाव को कम किया जा सकेगा। वहीं, मोर्चा के अध्यक्ष वीपी मिश्रा ने कहा कि निजीकरण का हर संभव विरोध किया जाएगा।
भर्तियां होने से कम होगा कोरोना वॉरियर्स का भार, कर्मचारी शिक्षक संयुक्त मोर्चा ने सीएम से की रिक्त पदों को भरने की मांग
मोर्चा के महासचिव शशि कुमार मिश्रा ने बताया कि डॉक्टर, नर्स, पैरामेडिकल स्टाफ के पदों पर भर्ती नहीं की गई है। इस वजह से कोरोना वॉरियर्स पर वर्क लोड बढ़ गया है। इसी तरह अन्य निगमों में भी कई पद खाली हैं। उन्होंने कहा कि यह अवसर कर्मचारियों का मनोबल बढ़ाने का है। इसके लिए बेहतर हो कि सरकार सकारात्मक रुख अपनाते हुए संवाद का क्रम बढ़ाए।
कर्मियों के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाए सरकार
कर्मचारी शिक्षक संयुक्त मोर्चा उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष वीपी मिश्रा और महासचिव शशि कुमार मिश्रा ने कहा है कि राज्य सरकार के नकारात्मक रवैये से कर्मचारी नाराज हैं। उन्होंने आश्चर्य व्यक्त किया है कि प्रदेश के सभी विभागों के कर्मचारी पूरी निष्ठा से सरकार की योजनाओं को संपन्न कर रहे हैं। अस्पतालों के डॉक्टर, नर्सेज, लैब टेक्नीशियन, फार्मेसिस्ट, वार्ड बॉय, सफाई कर्मचारी एवं अन्य तकनीकी कर्मचारी घर छोड़कर रात-दिन कोरोना मरीजों की सेवा कर रहे हैं। अध्यक्ष एवं महामंत्री ने मुख्यमंत्री से आग्रह किया है कि सकारात्मक दृष्टिकोण अपनायें जिससे कि कर्मचारियों का मनोबल बढ़े।
शासनादेशों पर दोबारा विचार किया जाए’
राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद जेएन तिवारी गुट ने सीएम योगी आदित्यनाथ से कार्मिक और वित्त विभाग की ओर से जारी हालिया शासनादेशों का संज्ञान लेते हुए दोबारा विचार किए जाने की मांग की है। इसके लिए परिषद के अध्यक्ष जेएन तिवारी ने सीएम को ई-मेल किया है।
जेएन तिवारी के मुताबिक वित्त विभाग ने भविष्य निधि के रखरखाव से संबंधित भत्ता समाप्त करने, समूह-घ के कर्मचारियों की पेंशन के निस्तारण का काम कार्यालय अध्यक्ष से हटाकर मंडलीय अपर निदेशक कोषागार और पेंशन को दिए जाने के साथ ही सेवानिवृत्त कर्मचारियों की पेंशन का जिम्मा भी कोषागार से हटाकर बैंकों को दिए जाने जैसे आदेश किए हैं। ऐसे आदेशों की मौजूदा समय में कोई आवश्यकता नहीं है। इससे कर्मचारी और परेशान ही होंगे।