कर्मचारियों को वेतन या देय राशि के रूप में गलत तरीके से भुगतान की गई राशि वापस करनी होगी । पढ़ें सम्बंधित शासनादेश ।
वेतन निर्धारण (Pay-Fixation ) एवं अन्य देयों के आगणन के सम्बन्ध में उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्रा ने प्रदेश के सभी अपर मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव एवं सचिवों को दिनाँक 20 दिसंबर 2023 को निर्देश दिया है कि राज्य कर्मचारियों का गलत वेतन निर्धारण (Pay-Fixation ) एवं देयों का भुगतान करने वाले कर्मियों से वसूली की जाए। यह आदेश इलाहाबाद हाईकोर्ट के रिट (ए) याचिका संख्या: 19748/2023 जोध पाल सिंह बनाम उ0प्र0 राज्य एवं 02 अन्य में पारित आदेश दिनांक 29.11.2023 के अनुपालन में दिया गया है।
मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्रा ने पत्र में लिखा कि राज्य सरकार के अधीन कार्यरत विभिन्न श्रेणी के कार्मिकों के वेतन निर्धारण (Pay-Fixation ) एवं अन्य देयों के सम्बन्ध में शासनादेश संख्याः 60/2016-वे0आ0-2-1375/दस-2016 दिनांक 21.11.2016 के माध्यम से पूर्व में यह निर्देश दिए गए थे कि कार्मिकों के वेतन निर्धारण(Pay-Fixation )/उनके देयों के आगणन में विशेष सावधानी अपनायी जाये तथा उनके भुगतान से पूर्व सम्बन्धित कार्मिक से इस आशय की सहमति/अण्डरटेकिंग आवश्यक रूप से प्राप्त कर ली जाये कि यदि त्रुटिपूर्ण वेतन निर्धारण/आगणन (Pay-Fixation ) के फलस्वरूप देयता से अधिक भुगतान हो जाता है तो वह उसका समायोजन/वसूली करायेगें।
कार्मिकों के वेतन निर्धारण (Pay-Fixation ) एवं अन्य देयों के आगणन की जांच संबंधित वित्तीय वर्ष में ही पूर्ण हो।
साथ ही मुख्य सचिव द्वारा पूर्व में जारी शासनादेश के माध्यम से शासन द्वारा यह भी निदेश निर्गत किये गये थे कि कार्मिकों के वेतन निर्धारण एवं देयों के आगणन की जांच उसी वित्तीय वर्ष में ही पूर्ण करायी जाये और त्रुटिपूर्ण वेतन निर्धारण/दयों के आगणन (Pay-Fixation ) की जांच में कदाशयता सिद्ध होने पर सम्बन्धित का उत्तरदायित्व निर्धारित किया जाये तथा त्रुटिपूर्ण वेतन निर्धारण/आगणन का लाभ प्राप्त करने वाले कार्मिक से वसूली/समायोजन न हो पाने की दशा में अधिक भुगतान के उत्तरदायी कार्मिक से उक्त धनराशि की वसूली/समायोजन किया जाये।
किन्तु राज्य सरकार के अधीन कार्यरत विभिन्न श्रेणी के कार्मिकों के वेतन निर्धारण (Pay-Fixation ) एवं अन्य देयों के भुगतान सम्बन्धी उपरोक्त वर्णित स्पष्ट आदेशों के बावजूद निदेशों का अनुपालन सम्बन्धित विभागों द्वारा नहीं किया गया । परिणामस्वरूप मा0 उच्च न्यायालय के समक्ष शासन की फजीहत होती है। इस प्रकरण में मा0 उच्च न्यायालय द्वारा याचिकाकर्ता के त्रुटिपूर्ण वेतन निर्धारण (Pay-Fixation ) के फलस्वरूप देयता से अधिक हुए भुगतान की वसूली सम्बन्धी निर्गत आदेश को चुनौती दिये जाने सम्बन्धी उक्त रिट (ए) याचिका संख्या: 19748/2023 जोध पाल सिंह बनाम उ0प्र0 राज्य एवं 02 अन्य में दिनांक 29.11.2023 को पारित किये गये आदेश के अनुसार –
From the above, it is very much clear that undertaking should be taken in future from those whose pay fixation is being done, to the effect that they would be liable for recovery for excess amount, if paid, and this enquiry as to corrections of fixation will have to be done in the relevant financial year of fixation. Liability has been further directed to be fastened upon the erring officials.
In the circumstances, there seems to be no justification for the respondents for withholding the post retirement dues of the petitioner as there is noting established that petitioner was asked and did fumish any undertaking in the relevant year or any enquiry was conducted in the relevant year and involvement of the petitioner was established.
Accordingly, in view of the above, let the entire post retirement dues of the petitioner is directed to be cleared without any deduction within a period of three weeks from today or cause be shown as to why this Court now may not start framing charges against such officials who still continue to make recovery despite settled legal position acknowledged in the Government Order dated 21.11.2016.
मुख्य सचिव ने निर्देशित किया कि भविष्य में राज्य सरकार के अधीन कार्यरत विभिन्न श्रेणी के कार्मिकों के वेतन निर्धारण (Pay-Fixation ) एवं अन्य देयों के शत-प्रतिशत मामलों में कार्मिकों को भुगतान से पूर्व उक्त प्रत्येक कार्मिक से इस आशय की सहमति/अण्डरटेकिंग आवश्यक रूप से प्राप्त कर ली जाये कि यदि त्रुटिपूर्ण वेतन निर्धारण/आगणन (Pay-Fixation ) के फलस्वरूप देयता से अधिक भुगतान हो जाता है तो वह उसका समायोजन/वसूली करायेगें।
राज्य कर्मचारियों का गलत वेतन एवं देयों का भुगतान करने वाले कर्मियों से वसूली की जाए
इसके अलावा कार्मिकों के वेतन निर्धारण (Pay-Fixation ) एवं देयों के आगणन की जांच आवश्यक रूप से उसी वित्तीय वर्ष में ही पूर्ण करायी जाये और त्रुटिपूर्ण वेतन निर्धारण/देयों के आगणन की जांच में कदाशयता सिद्ध होने पर सम्बन्धित का उत्तरदायित्व निर्धारित किया जाये तथा त्रुटिपूर्ण वेतन निर्धारण/आगणन (Pay-Fixation ) का लाभ प्राप्त करने वाले कार्मिक से वसूली/समायोजन न हो पाने की दशा में अधिक भुगतान के उत्तरदायी कार्मिक से उक्त धनराशि की वसूली/समायोजन प्रत्येक दशा में सुनिश्चित किया जाये।
निष्कर्ष:
- यह आदेश राज्य सरकार के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। इससे राज्य सरकार को गलत भुगतान की समस्या से निपटने में मदद मिलेगी। यह कर्मचारियों के लिए भी एक महत्वपूर्ण सुरक्षा है।
- त्रुटिपूर्ण वेतन निर्धारण/देयों के आगणन की जांच में कदाशयता सिद्ध होने पर सम्बन्धित का उत्तरदायित्व होगा।
- यह सहमति कर्मचारियों को यह सुनिश्चित करने में मदद करेगी कि उन्हें गलत तरीके से भुगतान नहीं किया जा रहा है। यह राज्य सरकार को भी यह सुनिश्चित करने में मदद करेगा कि गलत भुगतान की वसूली की जा सके।
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