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अवकाश प्रदान करने के लिए चिकित्सा प्रमाण पत्र एवं उसका प्रदान किया जाना।

अवकाश प्रदान करने के लिए चिकित्सा प्रमाण पत्र :

कर्मचारी की शारीरिक या मानसिक अशक्तता के आधार पर भी उसे अवकाश प्रदान किया जा सकता है, लेकिन इसके लिए उसे चिकित्सा प्रमाण पत्र पेश करना होता है, जिसमें चिकित्सा अधिकारी द्वारा अवकाश के लिए संस्तुति की जाती है।

सहायक नियम 87 के अनुसार चिकित्सा अधिकारियों द्वारा उन मामलों में अवकाश प्रदान करने की संस्तुति नहीं करनी चाहिए, जिनमें इस बात की युक्तियुक्त सम्भावना न हो कि सरकारी कर्मचारी कभी स्वस्थ होकर कर्त्तव्य पर वापस आने में सक्षम होगा। ऐसे मामलों में चिकित्सा प्रमाण पत्र में इस परामर्श को अभिलिखित करना चाहिए कि कर्मचारी स्थायी रूप से सरकारी सेवा के लिए अयोग्य है।

चिकित्सा समिति या किसी चिकित्सा अधिकारी द्वारा अवकाश प्रदान करने की संस्तुति करने वाले प्रत्येक चिकित्सा प्रमाणपत्र में यह प्रतिबन्ध होना चाहिए कि उसमें की गयी संस्तुति किसी ऐसे अवकाश के लिए दावा करने की साक्षी नहीं होगी, जो उसकी सेवा संविदा की शर्तों या उनको लागू नियमों के अनुसार अनुमन्य न हो (सहायक नियम 88)।

राजपत्रित सरकारी कर्मचारी को चिकित्सा प्रमाण पत्र पर अवकाश प्रदान किया जा सकता है या अवकाश का विस्तार किया जा सकता है, यदि वह विहित प्ररूप में चिकित्सा प्रमाण पत्र पेश करे (सहायक नियम 89)। चिकित्सा प्रमाण पत्र के सम्बन्ध में सहायक नियम 90 से 96 तक में प्रावधान किया गया है।


सहायक नियम 97 में प्रावधान किया गया है कि मात्र चिकित्सा प्रमाण पत्र पेश करने से ही सम्बन्धित सरकारी कर्मचारी को अवकश का कोई अधिकार नहीं मिल जाता। चिकित्सा प्रमाण पत्र को अवकाश स्वीकृत करने वाले प्राधिकारी के पास अग्रसारित किया जाना चाहिए तथा उस प्राधिकारी के आदेश की प्रतीक्षा करनी चाहिए।

अवकाश प्रदान करना:

जिन मामलों में अवकाश के लिए दिये गए सभी आवेदन-पत्रों को जनहित में स्वीकार करना असम्भव न हो, उन मामलों में यह निर्णय करने के लिए, कि किस आवेदन-पत्र को स्वीकार किया जाय, अवकाश स्वीकृत करने वाले प्राधिकारी को निम्नलिखित बातों को ध्यान में रखना चाहिए :-

  1. सरकारी कर्मचारी, जिसके बिना अवकाश के दौरान आसानी से काम चलाया जा सकता है,
  2. विभिन्‍न आवेदकों को प्रदान की जाने वाली अवकाश की अवधि,
  3. पिछले अवकाश से वापस आने के पश्चात्‌ प्रत्येक आवेदक द्वारा की गई सेवा की अवधि तथा उसकी प्रकृति,
  4. यह तथ्य, कि किसी आवेदक को उसके पिछले अवकाश में अनिवार्य रूप से वापस तो नहीं बुलाया गया था, और
  5. यह तथ्य, कि किसी आवेदक को जनहित में अवकाश अस्वीकृत तो नहीं किया गया था (सहायक नियम 99)।

जब कोई चिकित्सा समिति यह प्रतिवेदन दे कि किसी विशेष सरकारी कर्मचारी को भी कर्त्तव्य पर वापस आने के योग्य होने की कोई युक्तियुक्त आशा नहीं है, तब सरकारी कर्मचारी को निम्नलिखित शर्तों पर अवकाश स्वीकृत किया जा सकता है :–

1.यदि चिकित्सा समिति निश्चित रूप से यह अवधारित करने में असथर्म है कि सरकारी कर्मचारी कभी भी भारत में सेवा करने के लिए स्वस्थ नहीं हो सकेगा, तो कुल 12 मास तक का अवकाश स्वीकृत किया जा सकता है और ऐसे अवकाश का चिकित्सा समिति से दोबारा परामर्श किए बिना विस्तार नहीं किया जाना चाहिए।

2.यदि चिकित्सा समिति सरकारी कर्मचारी को और आगे सेवा के लिए पूर्ण तथा स्थायी रूप से अक्षम घोषित कर देती है, तो नीचे खण्ड (ग) के प्रावधान के अतिरिक्त सरकारी कर्मचारी को, यदि वह उस समय अवकाश पर हों, जब समिति ने उसकी परीक्षा की हो, पहले से दिए गए अवकाश की समाप्ति पर, यदि वह अवकाश पर न हो, तो समिति की रिपोर्ट की तिथि से सेवा से अशक्त घोषित कर देना चाहिए।

3.समिति द्वारा पूर्ण तथा स्थायी रूप से अशक्त घोषित किए गए सरकारी कर्मचारी को विशेष मामलों में, यदि ऐसा अवकाश देय हो, तो 6 महीने से अनधिक अवकाश या अवकाश में विस्तार किया जा सकता है, जिसे उससे अवकाश लेखे से घटा दिया जायेगा, यदि उसका अवकाश लेखा रखा जाता हो।

जब सरकारी कर्मचारी का स्वास्थ्य सरकारी सेवा में या उसके कारण खराब हुआ हो या जब सरकारी कर्मचारी ने अपने सेवा काल में बहुत कम अवकाश लिया हो या जब तक वह थोड़े दिनों में पेंशन के लिए एक अतिरिक्त वर्ष पूरा कर रहा हो, तो यह मान लेना चाहिए कि अवकाश की सुविधा देने के लिए विशेष
चरिस्थितियाँ विद्यमान है (सहायक नियम 100)।