लखनऊ। कोरोना के बढ़ते प्रसार और प्रदेश में कोरोना संक्रमितों की बढ़ती संख्या को देखते हुए प्रदेश सरकार ने आपातकालीन व आवश्यक सेवायों से जुड़े कर्मचारियों को छोड़कर अन्य सभी सरकारी कर्मचारी जो सरकारी दफ्तर,निकाय व निगम कार्यालयों में तैनात है उनमें से समूह ग एवं घ के 50 फीसदी कर्मचारी ही कार्यालय बुलाने का फैसला लिया है। फैसले में कहा गया है कि समूह क और ख के अधिकारी रोज़ दफ्तर आएं। प्रदेश सरकार ने इसका शासनादेश भी जारी कर दिया।
उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव राजेंद्र कुमार तिवारी की ओर से बुधवार 02 सितंबर 2020 को इस बाबत सभी विभागों को शासनादेश जारी किया गया। जारी आदेश में मुख्य सचिव राजेन्द्र कुमार तिवारी ने सभी विभागों के अपर मुख्य सचिव,प्रमुख सचिवों और विभागाध्यक्ष को अपने अपने दफ्तरों में सोशल डिस्टेंसिंग का खुद परीक्षण को कहा गया है।
समूह ग और घ के कर्मचारियों को रोस्टर बनाकर
मुख्य सचिव ने 50-50 फीसदी समूह ग और घ के कर्मचारियों को रोस्टर बनाकर दफ्तर और घर से काम करने के लिए अपने विभागीय मंत्री से अनुमति लेने को कहा है।ऐसे सारे कर्मचारी जो घर से काम करेंगे वह दफ्तर से संपर्क में रहेंगे ताकि जरूरत पड़ने पर उन्हें कार्यालय बुलाया जा सके।
साथ ही आदेश में कहा गया है कि कार्यालय में आने काले कर्मचारियों को कार्यालय समय से आना होगा। समय से आने की जांच व उनकी उपस्थिति जांच नियंत्रक प्राधिकारी समय समय पर अवश्य करेंगे।
प्रत्येक कार्यालय में कोरोना हेल्प डेस्क स्थापित करने का निर्देश
प्रत्येक कार्यालय में कोरोना हेल्प डेस्क स्थापित करने का निर्देश दिया गया है। यह हेल्प डेस्क कोरोना से बचाव की आवश्यक जानकारी देगी। इसके साथ ही सोशल डिस्टेंस और मास्क का उपयोग शत प्रतिशत करना होगा। अगर किसी कार्यालय में कोई कोरोना संक्रमित पाया जाता है तो उस कार्यलय को 24 घंटे में विसंक्रमित कर जाए ताकि कार्यालय लंबे समय तक बंद न हो और जनसामान्य को कोई असुविधा न हो।प्रत्येक कार्यालय में आने वाले कर्मचारियों की थर्मल स्केनिंग करने और उनको सैनिटाइजर आदि की व्यवस्था हेतु निर्देश दिए गए।