इलाहाबाद हाइकोर्ट ने कर्मचारियों से संबंधित महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि ट्रांसफर किसी भी सरकारी सेवक की नौकरी का अहम हिस्सा है और सामान्य मामलों में अदालतें ट्रांसफर आदेशों में दख़लअंदाज़ी नही कर सकती ।
क्या है मामला ?
याचिकाकर्ता डॉ राकेश कुमार भारतीया जोकि सीमा सुरक्षा बल,गोरखपुर मैं सेकंड इन कमांड (चिकित्सा) के पद पर जून 2016 से तैनात हैं। उनका तबादला दिनाँक 23 मार्च 2020 को अनंतराग,छत्तीसगढ़ कर दिया गया। जिसको लेकर याचिकाकर्ता डॉ राकेश कुमार भारतीया ने हाइकोर्ट का सहारा लिया है।
याचिकाकर्ता डॉ भारतीया का कहना है कि सीमा सुरक्षा बल के ऑफिस मेमोरेंडम दिनाँक 06/06/2014 एवं 18/10/2018 मैं स्पष्ट तौर पर कहा गया है कि जो सरकारी कार्मिक किसी दिव्यांग बच्चे की देखभाल कर रहा हो, उसे नियमित स्थानांतरण से मुक्त रखा जाए ।
इसके साथ ही याचिकाकर्ता डॉ भारतीया ने 03/07/2019 के दिशानिर्देशों का भी हवाला दिया जिसमें पति और पत्नी दोनों अगर सेवा में है तो यथास्थिति दोनो को एक ही स्थान पर तैनाती होनी चाहिये। और चूंकि डॉ राकेश कुमार भारतीया की पत्नी भी सीमा सुरक्षा बल में डिप्टी कमांडेंट (चिकित्सा) के पद पर हैं और फिलहाल में अपनी परास्नातक की पढ़ाई RIO चिकित्सालय, सीतापुर से कर रही हैं और जिनका पाठ्यक्रम मई 2021 में समाप्त होगा।
आगे याचिकाकर्ता डॉ राकेश कुमार भारतीया के वकील तेजस्वी मिश्रा में हाइकोर्ट को बताया कि डॉ भारतीया का एक बच्चा जोकि मानसिक रूप से दिव्यांग है जोकि सिर्फ 6 वर्ष का है और जिसका इलाज गोरखपुर में ही स्पेशल थेरेपी के द्वारा जारी है। इन सबके बाद भी याचिकाकर्ता ने ट्रांसफर आदेश पर मई 2021 तक स्थगन आदेश देने की हाइकोर्ट से प्रार्थना की । मई 2021 के उपरांत याचिकाकर्ता जहां चाहे तैनाती पर राजी है।
ट्रांसफर नौकरी का हिस्सा
जिसके जवाब में ए एस जी आई शशि प्रकाश सिंह ने याचिका का विरोध करते हुए कहा है प्रशाशनिक गतिविधियों को चलाने के लिए ट्रांसफर सरकारी नौकरी का अहम हिस्सा है।और याचिकाकर्ता नौकरी की इस शर्त से मना नही कर सकता है। जिस ऑफिस मेमोरेंडम की बात की जा रही है, उसमें विधिक बल नहीं है। विभाग ने याची का पूरा सहयोग किया है और पहले भी दो बार उनका स्थांतारण इसी आधार पर रोका जा चुका है।
शशि प्रकाश सिंह ने कोर्ट को बताया कि सुप्रीमकोर्ट ने भी स्पष्ट किया है कि सरकारी सेवक को ट्रांसफर आदेशों का का पालन करना ही होगा बशर्ते उन आदेशों का पालन करने में कोई कठिनाई न हो ।उसके लिए भी सक्षम अधिकारी के समक्ष इस ट्रांसफर आदेश को बदलने,निरस्त करने के लिए संबंधित कर्मचारी संपर्क कर सकता है पर अगर स्थानांतरण निरस्त या बदलाव नही होता तो सरकारी कर्मचारी को उसे मानना होगा। अन्यथा उस सरकारी कर्मचारी के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही को अधिकारी स्वतंत्र होगा।
एक अन्य मामले का जिक्र करते हुए वकील शशि भूषण सिंह ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में अन्य एक मामले में कहा गया है कि जब तक कि ट्रांसफर आदेशों में किसी प्रकार की अवैधानिकता या कमी न हो, सामान्यतया अदालतों को इसमे हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने डॉ भारतीय के सम्बंध में सभी तथ्यों और परिस्थितियों को देखते हुए कहा कि यह सही है कि याचिकाकर्ता की नौकरी स्थानांतरणीय है और सामान्यत: स्थानांतरण में हस्तक्षेप नहीं किया जाना चाहिए, मगर इस मौजूदा मामले में जिसमे की उनकी पत्नी पढ़ाई कर रही हैं और उनका बच्चा जो मानसिक रूप से दिव्यांग है को मानवीय आधार पर याची का स्थानांतरण रोकना उचित है। और इसके साथ हाइकोर्ट ने डॉ भारतीय के ट्रांसफर आदेश पर 31 मई 2021 तक रोक लगा दी। 31 मई 2021 उपरान्त जहाँ नियोजक उनकी तैनाती चाहे कर सकता है।