लंबी सेवा के बाद अवैध नहीं ठहराई जा सकती है दैनिककर्मी की नियुक्ति : हाईकोर्ट
प्रयागराज। हाईकोर्ट ने कहा है कि दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी से लंबे समय तक काम लेने के बाद किसी तकनीकी आधार पर उसकी नियुक्ति को अवैध नहीं करार दिया जा सकता है। वन विभाग में कार्यरत दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी से विभाग ने लंबे समय तक ड्राइवर का काम लिया। उसके बाद यह कहते हुए उसकी नियुक्ति को अवैध करार दे दिया कि उसके पास ड्राइविंग लाइसेंस नहीं है।
कोर्ट ने इसे सही नहीं माना क्योंकि कर्मचारी की नियुक्ति ड्राइवर के पद पर हुई ही नहीं थी। एकल
न्यायपीठ ने कर्मचारी को नियमित करने का आदेश दिया था। इसके खिलाफ वन विभाग ने विशेष अपील दाखिल की थी। मुख्य न्यायाधीश गोविंद माथुर तथा न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा की खंडपीठ ने अपील की सुनवाई के बाद उसे खारिज कर दिया।
मालूम हो कि विपक्षी राम नारायण 1989 में वन विभाग में दैनिककर्मी के रूप में नियुक्त किया गया और वह 2006 तक कार्यरत रहा। उसने नियमित करने के लिए याचिका दायर की तो उसे सेवा से हटा दिया गया। कहा गया कि उसकी नियुक्ति ही अवैध थी। एकल पीठ ने याचिका यह कहते हुए मंजूर कर ली कि दैनिककर्मी याची लंबी सेवा के आधार पर नियमित होने का हकदार है। जिसे सरकार ने विशेष अपील दायर कर चुनौती दी थी।
कोर्ट ने कहा कि दैनिक कर्मचारी से लम्बे समय तक ड्राइवर की सेवा ली गयी। बिना ड्राइविंग लाइसेंस के काम लेते रहे तो अब यह नहीं कह सकते कि नियुक्ति के समय उसके पास लाइसेंस नही था। इसलिए नियुक्ति अवैध थी। कोर्ट ने कहा कि नियुक्ति के बाद दैनिककर्मी कर्मचारी ने लाइसेंस प्राप्त कर लिया है और लगातार उसकी सेवा ली जा रही है। वैसे भी उसकी नियुक्ति दैनिक कर्मचारी के रूप में की गयी थी। सरकार ने उससे ड्राइवर की सेवा ली। कोर्ट ने एकल पीठ के फैसले पर हस्तक्षेप करने से इंकार कर दिया ।