इस अवकाश के सम्बन्ध में मूल नियम 83 में निम्नलिखित प्रावधान किया गया है :-
(1) राज्यपाल किसी स्थायी या अस्थायी कर्मचारी को, जो जानबूझकर किसी के द्वारा चोट पहुँचाने के कारण या अपने सरकारी कर्तव्यों के पालन में या उसके फलस्वरूप चोट लग जाने के कारण विकलांग हो गया हो, विशेष विकलांगता अवकाश स्वीकृत कर सकते हैं।
(2) अवकाश तभी स्वीकृत किया जा सकता है जब कि विकलांगता, उक्त घटना के दिनांक से तीन माह के अन्दर प्रकट हो गई हो तथा संबंधित सेवक ने उसकी सूचना तत्परता से यथा सम्भव शीघ्र दे दी हो। परन्तु सन विकलांगता के बारे में संतुष्ट होने की दशा में घटना के 3 माह के पश्चात प्रकट हुई विकलांगता के लिए भी अवकाश प्रदान कर सकते है।
(3) विशेष विकलांगता अवकाश की अवधि उतनी होगी, जितने की आवश्यकता कोई चिकित्सा परिषद प्रमाणित कर दे। विशेष विकलांगता अवकाश में वृद्धि चिकित्सा परिषद् के प्रमाण पत्र के बिना नहीं की जाएगी और किसी भी स्थिति में 24 मास से अधिक नही होगा।
(4) विशेष विकलांगता अवकाश को किसी भी अवकाश से संयुक्त किया जा सकता है।
(5) विशेष विकलांगता अवकाश एक से अधिक कर प्रदान किया जा सकता है, या विकलांगता में वृद्धि हो जाय या आगे चलकर पुनः प्रकट हो जाय, लेकिन किसी भी एक विकलांगता के कारण प्रदान किया जाने वाला अवकाश चौबीस मास से अधिक नहीं होगा।
(6) विशेष विकलांगता अवकाश को पेंशन के लिए सेवा का लेखा करने के लिए कर्त्तव्य माना जाएगा और नियम 78 (ख) के प्रावधान को छोड़कर अवकाश लेखे से नहीं घटाया जाएगा।
अवकाश वेतन
- विशेष विकलांगता अवकाश अवधि के प्रथम 6 माह तक सरकारी सेवक डयूटी पर माना जाता है।
- तत्पश्चात अगले चार महीने पूर्ण वेतन पर तथा
- शेष 14 महीने अर्द्धवेतन पर यह अवकाश अनुमन्य होता है।
- मूल नियम 83 तथा 83-क
- शेष 14 महीने अर्द्धवेतन पर यह अवकाश अनुमन्य होता है।
- तत्पश्चात अगले चार महीने पूर्ण वेतन पर तथा
अवकाश स्वीकृताधिकारी :
• महामहिम राज्यपाल
उत्तर प्रदेश में विकलांगता संबंधित महत्वपूर्ण शासनादेश
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