उत्तर प्रदेश सरकार के राजकीय कर्मचारियों हेतु अवकाश नियम सूची एवं अवकाश नियम
कोई व्यक्ति लगातार कार्य नहीं कर सकता, इस तथ्य को ध्यान में रखकर प्रति चौबीस घंटे के लिए काम के घंटों को नियत किया जाता है और व्यक्ति, चाहे सरकारी सेवक हो या गैर सरकारी, को नियत घंटों तक ही कार्य करना पड़ता है।
जिस तरह व्यक्ति लगातार कार्य नहीं कर सकता, उसी तरह व्यक्ति एक सामाजिक प्राणी है, और उसे सामाजिक तथा पारिवारिक दायित्वों का निर्वहन करना पड़ता है, जिसके लिए उसे पर्याप्त अवकाश की आवश्यकता पड़ती है और कभी-कभी व्यक्ति की शारीरिक या मानसिक स्थिति उसे कार्य करने के लिए अक्षम-बना देती है, जिस कारण उसे शारीरिक तथा मानसिक विश्राम की आवश्यकता होती है या चिकित्सीय उपचार की आवश्यकता होती है और ऐसी स्थिति में भी व्यक्ति को पर्याप्त अवकाश की आवश्यकता होती है।
इन्हीं कारणों से उ० प्र० सरकार के अधीन सेवारत कर्मचारियों के लिए अवकाश नियम के सम्बन्ध में वित्तीय हस्त पुस्तिका, खण्ड 2 भाग 2 के मूल नियम 58 से 106 तथा सहायक नियम 35 से 172 तक में प्रावधान किया गया है।
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- आकस्मिक अवकाश नियम एवं उसके प्रदान करने के कारण (CASUAL LEAVE)
- प्रतिकर अवकाश नियम (COMPENSATORY LEAVE)
- अर्जित अवकाश नियम (EARNED LEAVE)
- चिकित्सा प्रमाण पत्र पर अवकाश नियम (MEDICAL LEAVE)
- निजी कार्य पर अवकाश नियम (PRIVATE WORK LEAVE)
- मातृत्व अवकाश तथा बाल्य देखभाल अवकाश (MATERNITY LEAVE AND CHILD CARE LEAVE)
- असाधारण अवकाश (EXTRAORDINARY LEAVE)
- अध्ययन अवकाश नियम (STUDY LEAVE)
- विशेष विकलांगता अवकाश (SPECIAL DISABILITY LEAVE )
- विश्राम अवकाश
- संगरोध अवकाश
- रोज़गार अवकाश
- अवकाश की परिभाषा एवं अवकाश का अधिकार
- अवकाश का आवेदन एवं प्राधिकारी जो अवकाश देने हेतु सक्षम है।
- अवकाश प्रदान करने के लिए चिकित्सा प्रमाण पत्र एवं उसका प्रदान किया जाना।
- अवकाश स्वीकृति करने पर प्रतिबंध एवं अवकाश की प्रारंभ एवं समाप्ति
- चिकित्सा प्रमाण पत्र पर अवकाश लेने वाले कर्मचारी की कर्तव्य पर वापसी एवं अवकाश समाप्त होने पर भी अनुपस्थिति रहने के परिणाम।
- चिकित्सा प्रमाण पत्र से संबंधित अवकाश नियम
- अंशकालिक न्यायिक अधिकारियों को अवकाश
- ठेके पर कार्य करने वाले कर्मचारियों को अवकाश
- परिवीक्षाधीन तथा प्रशिक्षुओं,मानदेय आधार पर कार्य करने वाले सरकारी कर्मचारियों का अवकाश का अधिकार
- अवकाश समाप्त होने से पूर्व कर्तव्य पर वापस बुलाये जाने पर होने वाली सुविधा
- अवकाश वेतन का भुगतान
- अवकाश यात्रा (LTC LEAVE) से संबंधित प्रावधान
उत्तर प्रदेश में अवकाश नियम संबंधित महत्वपूर्ण शासनादेश
- सरकारी कर्मचारी को प्रतिकर अवकाश का दिया जाना एवं उसके अवकाश नियम ।
- विकलांग जन को सामान्य आकस्मिक अवकाश के अतिरिक्त विशेष आकस्मिक अवकाश स्वीकृत किये जाने के संबंध में ।
- महिला सरकारी सेवकों को बाल्य देखभाल अवकाश की अनुमन्यता।
अवकाश के सम्बन्ध में कुछ प्रमुख मूल नियम निम्नानुसार हैं :
- वित्तीय हस्त पुस्तिका खण्ड दो भाग 2 से 4 के सहायक नियम 35
- अराजपत्रित सरकारी सेवकों को विशेष विकलांगता अवकाश के अतिरिक्त, मूल नियमों के अन्तर्गत अनुमन्य कोई भी अन्य अवकाश नियुक्ति प्राधिकारी द्वारा अथवा वित्तीय नियम संग्रह खण्ड 2 के भाग 4 (विवरणपत्र 4 के क्रम संख्या 5, 8 तथा 9) में उल्लिखित किसी अन्य निम्नतर सक्षम प्राधिकारी (कार्यालयाध्यक्ष) द्वारा प्रतिनिहित अधिकार सीमा के अधीन रहते हुए प्रदान किया जा सकता है।
- वित्तीय हस्त पुस्तिका खण्ड दो भाग 2 से 4 के सहायक नियम 36
- राजपत्रित अधिकारियों को अवकाश देने के लिए साधारणतया शासन की स्वीकृति की आवश्यकता है, किन्तु वित्तीय नियम संग्रह खण्ड-2 के भाग 4 (विवरण पत्र क्रम संख्या 6, 7, 8 व 9) में उल्लिखित किसी अन्य निम्नतर सक्षम प्राधिकारी द्वारा प्रतिनिहित अधिकार सीमा के अधीन अथवा किसी ऐसे निम्नतर अधिकारी द्वारा जिसे इसके लिये अधिकार प्रतिनिहित किया गया हो, प्रदान किया जा सकता है।
- 60 दिन तक का अवकाश सभी विभागाध्यक्षों द्वारा अपने अधीनस्थ राजपत्रित अधिकारियों को स्वीकृत किया जा सकता है, बशर्ते कि प्रतिस्थानी की आवश्यकता न हो।(शासनादेश संख्या-सा-4-944/दस-66-73, दिनांक 16-8-73)
- विभागाध्यक्ष अपने अधीनस्थ राजपत्रित अधिकारियों को प्राधिकृत चिकित्सक द्वारा प्रदत्त प्रमाण-पत्र के आधार पर 3 माह तक की अवधि तक का चिकित्सा प्रामण पत्र पर अवकाश प्रदान कर सकते है।(शासकीय ज्ञाप संख्या सा-4-1752/दस-200(2)-77 दिनांक 20-6-1978)
- वित्तीय हस्त पुस्तिका खण्ड दो भाग 2 से 4 के सहायक नियम 153, 154
- अवकाश संबंधित विभागाध्यक्ष द्वारा अथवा किसी ऐसे निम्नतर अधिकारी द्वारा जिसे इसके लिये अधिकार प्रतिनिहित किया गया हो, प्रदान किया जा सकता है।
- वित्तीय हस्त पुस्तिका खण्ड दो भाग 2 से 4 के मूल नियम 59
- अवकाश केवल डयूटी देकर ही उपार्जित किया जाता है। इस नियम के लिए वाहय सेवा में व्यतीत की गयी अवधि को डयूटी माना जाता है, यदि ऐसी अवधि के लिये अवकाश वेतन के लिए अंशदान का भुगतान कर दिया गया है।
- वित्तीय हस्त पुस्तिका खण्ड दो भाग 2 से 4 के मूल नियम 66
- विशेष विकलांगता अवकाश के अतिरिक्त मल नियमों के अन्तर्गत देय अन्य अवकाश शासन के अधीनस्थ उन प्राधिकारियों द्वारा प्रदान किया जा सकता है जिन्हें शासन नियम या आदेश द्वारा निर्दिष्ट कर दें। विशेष विकलांगता अवकाश शासन द्वारा स्वीकृत किया जा सकता है।
अवकाश की मांग का दावा अधिकार के रुप में नही :
- • वित्तीय हस्त पुस्तिका खण्ड दो भाग 2 से 4 के मूल नियम 67
- किसी अवकाश का दावा या मांग अधिकार स्वरुप नहीं किया जा सकता है। अवकाश लेने का दावा ऐसे नहीं किया जा सकता है जैसे कि वह एक अधिकार हो। जब जन सेवाओं की आवश्यकताएं ऐसी अपेक्षा करती हों, तो किसी भी प्रकार के अवकाश को निरस्त करने या अस्वीकृत करने का अधिकार अवकाश प्रदान करने हेतु सक्षम प्राधिकारी के पास सुरक्षित है इस सम्बन्ध में अवकाश स्वीकृत करने वाला अधिकारी किसी अवकाश को जनहित में अस्वीकृत करने के लिए पूर्णतया सक्षम होता है।
- वित्तीय हस्त पुस्तिका खण्ड दो भाग 2 से 4 के मूल नियम 68
- अवकाश साधारणतया कार्यभार छोडने से प्रारम्भ होता है तथा कार्यभार ग्रहण करने की तिथि के पूर्व दिवस को समाप्त होता है। अवकाश के प्रारम्भ होने के ठीक पहले व अवकाश समाप्ति के तुरंत पश्चात पड़ने वाले रविवार व अन्य मान्यता प्राप्त अवकाशों को अवकाश के साथ उपभोग करने की स्वीकृति अवकाश स्वीकृ त करने वाले प्राधिकारी द्वारा दी जा सकती है। अवकाश का आरम्भ सामान्यतः उस दिन से माना जाता है जिस दिन सम्बन्धित कर्मचारी/अधिकारी द्वारा अपने कक्ष/ कार्यालय का प्रभार हस्तान्तरित किया जाता है। इसी प्रकार अवकाश से लौटने पर प्रभार ग्रहण करने के पूर्व के दिवस को अवकाश समाप्त माना जाता है।
- वित्तीय हस्त पुस्तिका खण्ड दो भाग 2 से 4 के मूल नियम 69
- बिना प्राधिकृत अधिकारी की पूर्व स्वीकृति प्राप्त किये कोई सरकारी सेवक अवकाश काल में कोई लाभप्रद व्यवसाय या नौकरी नहीं कर सकता है। नियमत: अवकाश काल में कोई भी राजकीय कर्मचारी अन्यत्र कोई सेवा धनोपार्जन के उददेश्य से नहीं कर सकता जब तक कि इस सम्बन्ध में उसके द्वारा सक्षम अधिकारी से पूर्व स्वीकृति प्राप्त न कर ली गयी हो।
- वित्तीय हस्त पुस्तिका खण्ड दो भाग 2 से 4 के मूल नियम 70
- जन सेवा के हित में अवकाशाधीन सेवक को वापस बुलाने का अधिकार:
- •जन सेवा के हित में अवकाश प्रदान करने वाले प्राधिकारी को अवकाशाधीन सरकारी सेवक को अवकाश का पूर्ण उपभोग किये बिना डयूटी पर वापस बुलाने का अधिकार है।
- वित्तीय हस्त पुस्तिका खण्ड दो भाग 2 से 4 के मूल नियम 70 अवकाश से वापस बुलाये जाने पर यात्रा भत्ता निम्न शर्तो के पूरा होने पर ही देय होगा :
- यदि वह 60 दिन से अधिक के अवकाश पर गया हो तो कम से कम उसकी आधी अवधि का अवकाश निरस्त किया गया हो।
- यदि वह 60 दिन तक या उससे कम की अवधि के लिये अवकाश पर गया हो तो यह कम से कम 30 दिन का अवकाश निरस्त कराया गया हो।(नियम 51, वित्तीय नियम संग्रह खण्ड-3)
- चिकित्सा अवकाश का उपभोग करने के उपरान्त किसी भी कर्मचारी को सेवा में योगदान करने की अनुमति तब तक नहीं दी जा सकती जब तक कि उसके द्वारा निर्धारित प्रपत्र पर अपना स्वास्थता प्रमाण पत्र प्रस्तुत नहीं किया जाता है। इसी प्रकार यदि सक्षम अधिकारी चाहे तो अस्वस्थता पर लिये गये किसी अन्य श्रेणी के अवकाश के मामले में भी उपरोक्त स्वास्थता प्रमाणपत्र मांग सकता है।वित्तीय हस्त पुस्तिका खण्ड दो भाग 2 से 4 के मूल नियम 71
- अवकाश स्वीकर्ता अधिकारी की पूर्व स्वीकृति के बिना किसी भी कर्मचारी को स्वीकृत अवकाश की समाप्ति के 14 दिन से अधिक समय पूर्व सेवा में वापस आने की अनुमति नहीं दी जा सकती। वित्तीय हस्त पुस्तिका खण्ड दो भाग 2 से 4 के मूल नियम 72
- यदि कोई राजकीय कर्मचारी अवकाश अवधि की समाप्ति के उपरान्त भी अनुपस्थित रहता है तो उसे ऐसी अनुपस्थिति की अवधि के लिए कोई अवकाश वेतन देय नहीं होगा एवं उक्त अवधि अर्द्ध औसत वेतन पर अवकाश के रुप में रेखांकित की जायेगी जब तक कि सक्षम अधिकारी द्वारा अवकाश अवधि बढ़ा न दी गयी हो। यदि बाद में वह अनुपस्थिति की अवधि का चिकित्सा प्रमाण पत्र प्रस्तुत करता है तो इस अवधि को चिकित्सा प्रमाण पत्र पर देय अवकाश से घटा दिया जायेगा किन्तु कोई अवकाश वेतन भुगतान नहीं किया जायेगा।वित्तीय हस्त पुस्तिका खण्ड दो भाग 2 से 4 के मूल नियम 73
- अवकाशोपरान्त जान बूझकर सेवा से अनुपस्थिति दुर्व्यहार की श्रेणी में आती है एवं दण्डनीय अपराध है।वित्तीय हस्त पुस्तिका खण्ड दो भाग 2 से 4 के मूल नियम 15
- किसी एक प्रकार के अवकाश को दूसरे प्रकार के अवकाश के साथ अथवा क्रम में स्वीकृत किया जा सकता है। वित्तीय हस्त पुस्तिका खण्ड दो भाग 2 से 4 के मूल नियम 81-ख(6), 83 (4), सहायक नियम-157-क(5) तथा 154
अवकाश वेतन
- शासनादेश संख्या सा-4-871/दस-1999, दिनांक 25 मार्च, 2000
- अर्जित अवकाश अथवा चिकित्सा प्रमाण पत्र पर अवकाश पर जाने से ठीक पूर्व आहरित वेतन की दरों पर अवकाश वेतन अनुमन्य होता है। अवकाश अवधि में देय प्रतिकर भत्तों के भुगतान के सम्बन्ध में मूल नियम-93 तथा सहायक नियम 147, 149, 150 तथा 152 में व्यवस्था दी गई है। जो विशेष वेतन तथा प्रतिकर भत्ते किसी कार्य विशेष को करने के कारण देय होते हैं, उन्हें अवकाश अवधि में देने का कोई औचित्य नहीं है परन्तु जो विशेष वेतन तथा भत्ते वैयक्तिक योग्यता के आधार पर देये होते हैं (स्नातकोत्तर भत्ता, परिवार कल्याण भत्ता, वैयक्तिक योग्यता भत्ता) अवकाश वेतन के साथ दिये जाने चाहिये। विशेष वेतन तथा अन्य भत्तों का भुगतान अवकाश के अधिकतम 120 दिन की सीमा तक अनुमन्य होगा।
- अवकाश प्रदान करने वाले प्राधिकारी को अवकाश के प्रकार में परिवर्तन करने का अधिकार नहीं है। वित्तीय हस्त पुस्तिका खण्ड दो भाग 2 से 4 के मूल नियम 87 क
सरकारी सेवक जिन्हें अवकाश प्रदान नहीं किया जा सकता ।
- सरकारी सेवक को निलम्बन की अवधि में अवकाश प्रदान नहीं किया जा सकता। वित्तीय हस्त पुस्तिका खण्ड दो भाग 2 से 4 के मूल नियम 55
- सरकारी सेवक जिसे दराचरण अथवा सामान्य अक्षमता के कारण सेवा से निकाला या हटाया जाना अपेक्षित हो, को अवकाश स्वीकृत नहीं किया जाना चाहिए, यदि उस अवकाश के प्रभाव स्वरुप निकाले या हटाये जाने की स्थिति स्थगित हो जाती हो या जिसको आचरण के कारण उसी समय या निकट भविष्य में उसके विरुद्ध विभागीय जॉच का विषय बनाने वाला हो।वित्तीय हस्त पुस्तिका खण्ड दो भाग 2 से 4 के सहायक नियम 101
अवकाश प्रदान करना :
- अवकाश प्रार्थना-पत्रों पर निर्णय करते समय सक्षम अधिकारी निम्न बातों का ध्यान रखेगें :
- वित्तीय हस्त पुस्तिका खण्ड दो भाग 2 से 4 के सहायक नियम 99
- कर्मचारी जिसके बिना उस समय सरलता से कार्य चलाया जा सकता है
- अन्य कर्मचारियों के अवकाश की अवधि
- पिछली बार लिये गये अवकाश से वापस आने के पश्चात सेवा की अवधि
- किसी आवेदक को पूर्व में स्वीकृत अवकाश से अनिवार्य रुप से वापस तो नहीं बुलाया गया
- आवेदक को पूर्व में जनहित में अवकाश अस्वीकृत तो नहीं किया गया ।