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अग्रिम और LTC कैश योजना

उत्तर प्रदेश राज्य कर्मचारियों को भी स्पेशल फेस्टिवल पैकेज व LTC कैश योजना

अधिकतर कर्मचारियों को अभी तक इन दो घोषणाओं का या तो सही तरह से अर्थ नही पता लग पाया या पता है तो यह नही पता की इसका फायदा होगा या नही। तो इस लेख में आज LTC से संबंधित और नई घोषणाओं में फायदे और नुकसान को देख लें।

अभी 5 दिन पहले केंद्र सरकार ने अपने कर्मचारियों को 2 बड़े एलान किये थे और इसको देखते हुए उत्तर प्रदेश राज्य सरकार ने भी अपने 10 लाख राज्य कर्मचारियों को इन लाभों को देने का फैसला करते हुए कल 16 अक्टूबर 2020 को इस संबंध में शासनादेश जारी कर दिया है। अपर मुख्य सचिव , उत्तर प्रदेश शासन एस राधा चौहान के इस बाबत शासनादेश जारी किया है ।

प्रदेश सरकार का पहला एलान तो हरेक कर्मचारी को 31 मार्च 2021 तक किसी भी त्योहार पर खरीदारी के लिए ब्याज रहित अधिकतम 10000 रुपए का अग्रिम देने का है जिसे अगले साल से 10 किस्तों में चुकाना होगा यानी कि हर महीने 1000 रुपए की क़िस्त।यह अग्रिम पूर्णतया ब्याज रहित होगा और 10 क़िस्त में ही चुकाना होगा।10000 रुपये सीधे कर्मचारी के खाते में न जाकर कर्मचारी को अपने नियोक्ता के पास अग्रिम हेतु आवेदन करना होगा और उस आवेदन पर कार्यालयाध्यक्ष 10000 रुपये का भारतीय स्टेट बैंक का प्रीपेड/प्रीलोडेड रुपए कार्ड आवेदन करने वाले कर्मचारी को देगा।

दूसरा फैसला कर्मचारियों को एलटीसी (LTC) के बदले नकदी देने का है।

तो अवकाश यात्रा (LTC LEAVE) सुविधा आखिर है क्या ?

इस सुविधा के अन्तर्गत सरकारी सेवकों को अवकाश के दौरान भारत में स्थित किसी स्थान के भ्रमण हेतु जाने तथा वापस आने के सम्बन्ध में सरकारी सेवकों तथा उनके परिवार के सदस्यों द्वारा की गयी यात्राओं के लिये कतिपय शर्तों के अधीन यात्रा व्यय की प्रतिपूर्ति अनुमान्य होगी।

सीधे शब्दों में कहें तो LTC यानी अवकाश यात्रा सुविधा जो कि कर्मचारियों को अपने नियोक्ता (EMPLOYER) से छुट्टियों में बाहर घूमने के लिए मिलती है। प्राइवेट कंपनियों में इसी को लीव ट्रेवल अलाउंस यानी LTA कहा जाता है ।


LTC दो हिस्सों में विभाजित होता है एक छुट्टी के बदले मिलने वाला पैसा जिसे की लीव एनकेशमेंट(LEAVE ENCASHMENT) कहते है और दूसरा छुट्टी पर घूमने के किराया का भुगतान।लीव एनकेशमेंट (LEAVE ENCASHMENT) मूल वेतन और महँगाई भत्ता के आधार पर निर्धारित होता है।चूंकि सब कर्मचारियों का मूल वेतन (BASIC SALARY) और मिल रहा महँगाई भत्ता(D. A) अलग अलग होता है तो यह हर कर्मचारी का अलग अलग होगा। कर्मचारी के लिए लीव एनकेशमेंट करयोग्य होता है यानी इसपर टैक्स देना होता है। LTC का दूसरा हिस्सा जोकि छुट्टी के दौरान घूमने का होता है वह करमुक्त हो सकता है बशर्ते वह अपनी यात्रा से संबंधित समस्त बिल अपने नियोक्ता (EMPLOYER) को दे।

LTC का फायदा हरेक कर्मचारी को 4 साल में मिलता है और इन 4 सालों में कर्मचारी 2 बार अपने गृह जनपद या1 बार देश में कहीं भी घूमने और 1 बार गृह जनपद अपने परिवार के साथ जा सकता है।

राज्य सरकार से इतर केंद्र सरकार की नई LTC कैश योजना के तहत इस योजना में कर्मचारियों की 3 श्रेणी हैं

कर्मचारियों की श्रेणीराउंड ट्रिप पर प्रति व्यक्ति LTC
बिजनेस क्लास वायु यात्रा36000 रुपये
इकॉनमी क्लास वायु यात्रा20000 रुपये
ट्रैन यात्रा(कोई भी श्रेणी)6000 रुपये


मतलब केंद्र सरकार ने इसको 3 श्रेणी में विभाजित किया है जबकि उत्तर प्रदेश सरकार में शासनदेश संख्या-11/2020/जी-2-131 दस-2020-604/82टी0सी0 दिनाँक 16 अक्टूबर 2020 के द्वारा सिर्फ 1 प्रकार की श्रेणी रखी है जोकि ट्रैन यात्रा किराया 6000 प्रति व्यक्ति परिवार के अधिकतम 04 सदस्यों तक।

बाकी नियम-

किसी भी सरकारी कर्मचारी को बिना कहीं घूमे या जाए LTC मिल जाएगी लेकिन इसके कई नियम सरकार द्वारा जारी आदेश में दिए हैं ।

  • केंद्र सरकार की LTC कैश योजना के तहत लीव एनकैशमेंट के तहत कर्मचारी को वह पूरी नगदी लेनी होगी जिसका वह हकदार है और ऐसा करना अनिवार्य होगा । जबकि राज्य सरकार की योजना में लीव एनकेशमेंट नही मिलेगा।
  • केंद्र सरकार और राज्य सरकार दोनों के कर्मचारीयों को इस योजना का लाभ लेने को मिलने वाले किराए का 3 गुना उन वस्तुओं और सेवाओं की खरीदारी पर खर्च करना ही होगा जिन पर फिलहाल में 12 फ़ीसदी या उससे ज्यादा जीएसटी है।
  • केंद्र सरकार के कर्मचारियों को लीव एनकैशमेंट के तहत मिलने वाली राशि के बराबर का पैसा भी पूरा खर्च करना होगा।
  • इस LTC कैश योजना का लाभ उठाने वाले केंद्रीय और राज्य कर्मचारियों को मिलने वाली पूरी राशि को इसी वित्तीय वर्ष में खर्च करना होगा यानी 31 मार्च 2021 से पहले ।
  • केंद्र और राज्य सरकार से मिलने वाला पूरा पैसा ऑनलाइन/डिजिटल मोड से खर्च करना पड़ेगा और ख़रीदारी GST पंजीकृत वेंडर/सेवा प्रदाता से करनी होगी।जीएसटी की रसीद जरूरी होगी रसीद पर पंजीकृत वेंडर/सेवा प्रदाता का जीएसटी संख्या व चुकाया गया जीएसटी (GST) साफ लिखा होना चाहिए।
  • 2018-21 की अवधि की एलटीसी योजना का लाभ ना उठाने वाले पर यह लैप्स हो जाएगी।

केंद्र सरकार के कर्मचारियों को इस योजना को इस उदाहरण से ऐसे समझे कि एक कर्मचारी जिसे 55200 मूल वेतन मिल रहा है और वह पुनरीक्षित वेतन मैट्रिक्स के लेवल 7 में है को देश में कहीं भी आने जाने को रेल का प्रथम श्रेणी अथवा वातानुकूलित कोच (थ्री टायर) का किराया मिलता है।अगर वह कर्मचारी अपनी पत्नी व 2 वयस्क बच्चों सहित लखनऊ से गोआ जाता है तो 1 वयस्क का एक तरफ का किराया 4000 पड़े तो आने जाने का किराया 32000 होगा। पर LTC कैश योजना के तहत यह कर्मचारी 6000 रुपये ट्रैन किराए के दायरे में आएगा। 4 व्यक्तियों के कुल मिलाकर 24000 रुपये मिलेंगे।

इस योजना के अन्य नियम के तहत इन मील 24000 रुपये का तिगुना उसे खर्च करना होगा यानी 72000 रुपए। उसे 10 दिन लीव एनकेशमेंट (LEAVE ENCASHMENT) के भी 21528 रुपए मिलेंगे पर ये भी पूरी राशि उसे खर्च करनी होगी। इस तरह उस कर्मचारी को 24000+21528=45528 रुपये पाने के लिए 72000+21528=93528 रुपये खर्च करने होंगे।फिर प्राप्त होने वाले लीव एनकेशमेंट पर आयकर भी कटेगा।जबकि LTC की राशि आयकर लाभ में मदद करेगी।

केंद्र सरकार की योजना का दूसरा उदाहरण से ऐसे समझे कि मान लीजिए किसी कर्मचारी का वेतन 138500 है और वह स्वयं,अपनी पत्नी और दो बच्चों यानी कुल मिलाकर 4 सदस्यों के साथ घूमने जाता है तो 138500 वेतन पर वह कर्मचारी नियमतः वायुयान की इकॉनमी क्लास में यात्रा का खर्चा लेने को अधिकृत है।

लीव एनकेशमेंट = (138500 X 1.17) X 10 /30 = 54015 रुपये

कुल किराया का जो भुगतान होगा=20000 X 4 सदस्यों= 80000 रुपये

दोनों का कुल 54015+80000=134015 रुपये

कुल राशि जो खर्च करनी होगी (किराए का 3 गुना और पूरा लीव एनकेशमेंट ) 54015+240000 रुपये=294015 रुपये

यानी की इस कैश योजना से प्राप्त 134015 रुपये को पाने के लिए उस कर्मचारी को 294015 खर्च करने होंगे।

उत्तर प्रदेश राज्य सरकार के मामले में

उत्तर प्रदेश राज्य सरकार के मामले में कर्मचारियों की 3 श्रेणीं नही बनाई गई हैं । वहां सभी कर्मचारियों को एक श्रेणी यानी यात्रा भत्ता केवल 6000 प्रति व्यक्ति मिलेगा (अधिकतम 4 सदस्यों तक)

उत्तर प्रदेश के मामले में उदाहरण से समझे तो कर्मचारी जिसे 55200 मूल वेतन मिल रहा है ।अगर वह कर्मचारी अपनी पत्नी व 2 वयस्क बच्चों सहित लखनऊ से गोवा जाता है तो 1 वयस्क का एक तरफ का किराया 4000 पड़े तो आने जाने का किराया 32000 होगा। पर LTC कैश योजना के तहत यह कर्मचारी 6000 रुपये ट्रैन किराए का जो भुगतान होगा । 4 व्यक्तियों के कुल मिलाकर 24000 रुपये मिलेंगे। इस योजना के अन्य नियम के तहत इन मील 24000 रुपये का तिगुना उसे खर्च करना होगा यानी 72000 रुपए। उसे 10 दिन लीव एनकेशमेंट (LEAVE ENCASHMENT) के भी 21528 रुपए नही मिलेंगे । इस तरह उस कर्मचारी को 24000 रुपये पाने के लिए 72000 रुपये खर्च करने होंगे।

मुझे इस पर एक पुरानी याद आयी। हमारे शहर में एक दुकान खुली , जिसका मालिक दुकान पर चार शर्ट खरीदने पर पांचवी शर्ट फ्री देता था. इन चारों शर्ट्स के रेट भी काफी अधिक होते थे. यानी आप करीब 4 हजार की शॉपिंग करोगे तो एक हजार का मुनाफा होगा, ऐसा दावा किया जाता था. शुरू में तो लोग वहां से खूब कपड़े खरीदते, लेकिन बाद में लोगों को ये डील महंगी लगने लगी.लोगों को समझ आया कि 1 हज़ार बचाने के चक्कर में बिना जरूरत ही वह लोग 4 हज़ार खर्च कर रहे थे।

स्पष्ट है कि मामूली फायदे के लिए इस योजना का फायदा न ही उठाना फायदे का सौदा होगा।हाँ अगर कर्मचारी को 72000 का घर का कोई घरेलू और जरूरी समान पहले से ही लेने का विचार है और उस कर्मचारी के पास पहले से ही इतना पैसा है जिसे वह घरेलू सामान हेतु खर्च करता ही तब उसके लिए यह योजना फायदे की है अन्यथा नही। सरकार की शर्त है कि LTC का पैसा पाने और टैक्स छूट लेने के लिए ज़रूरी है कि कर्मचारी तीन गुना ख़र्च करे.

अब सवाल ये है कि 24000 रुपये LTC पर अधिकतम 30 हजार टैक्स का फायदा लेने के लिए क्या 72000 रुपये खर्च करना समझदारी होगी? और जो कर्मचारी पुराने आयकर स्लैब को छोड़कर नए स्लैब का चयन कर चुके हैं उनको तो LTC पर मिलने वाला ऐसा आयकर लाभ भी नही मिलेगा क्योंकि नए आयकर स्लैब में LTC संबंधित आयकर छूट का प्रावधान नही है।

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