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प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (PM Kisan Yojana) देश के किसानों को सीधी मदद उपलब्ध कराने वाली केंद्र सरकार की योजना है। कोरोना संकट के इस काल में यह योजना देश के अन्नदाताओं के लिए बड़ी सहायक सिद्ध हुई है। सरकार कोरोना संकट की वजह से लागू लॉकडाउन से प्रभावित कृषकों के लिए अप्रैल में ही 2,000 रुपये की एक किस्त जारी कर चुकी है।

पूरी दुनिया में कोरोना काल चल रहा है। कोरोना वायरस से बचने के लिए लॉकडाउन घोषित किया गया है। इस लॉकडाउन के समय किसानों के लिए पीएम किसान सम्मान निधि किसी वरदान से कम नहीं है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार की सबसे सफल योजनाओं में से एक प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना (Pradhan Mantri Kisan Samman Nidhi-PM Kisan Yojana) से कोई भी किसान जुड़ सकता है। इस योजना में किसानों को सालाना 6000 रुपये दिया जाता है। इस योजना की शुरुआत दिसंबर 2018 में की गई थी। यह पैसा साल में 3 बार किस्तों में दिया जाता है। इस प्रकार हर चार महीने में 2000 रुपये किसानों के बैंक खाते में भेज दिया जाता है। इस स्कीम में सबसे अधिक उत्तर प्रदेश के किसान रजिस्टर्ड हैं।

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प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना(PM Kisan Yojana) के लाभार्थी किसान की मृत्यु हो जाती है तो उसके पश्चात प्राप्त होने वाली किश्त किस प्रकार से किसान के उत्तराधिकारी को मिलेगी । इस संबंध में उत्तर प्रदेश सरकार में कृषि विभाग के प्रमुख सचिव डॉ देवेश चतुर्वेदी की ओर से शासनादेश समस्त जिलाधिकारियों को जारी किया गया है इस शासनादेश में विस्तृत रूप से दिशा निर्देश जारी किए गए।

गौरतलब है कि इस योजना में अगर कोई लाभार्थी कृषक भूस्वामी मृतक हो जाता है तो उसकी आगामी किस्तों को रोक दिया जाता है और जानकारी के आभाव में लाभार्थी के सगे संबंधी व्यर्थ ही कार्यालयों में भटकते रहते है । लेकिन इस शासनादेश मैं इस पूरी प्रक्रिया के संबंध में गाइडलाइन दी गयी है। वैसे तो मृतक भूस्वामी किसान के स्थान पर केंद्र सरकार के दिशा निर्देशों के अनुसार PM Kisan Yojana में वैधानिक उत्तराधिकारी यानी वारिशों के प्रार्थना पत्र प्राप्त होने पर उनकी पात्रता का परीक्षण करते हुए लाभ दिए जाने के निर्देश दिए गए हैं । इसके लिए इस शासनादेश में उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता 2006 में उत्तराधिकार के मामलों में नामांतरण की प्रक्रिया से लेकर कृषि विभाग को दिशा निर्देश दिए गए हैं।

PM Kisan Yojana योजना के लाभार्थी भू-स्वामी की मृत्यु हो जाने की दशा में निम्न प्रक्रिया अपनाये जाने हेतु दिशा निर्देश:

  1. कृषि विभाग की फील्ड अधिकारियों को उनके कार्य क्षेत्र का विवरण (राजस्व ग्राम के विवरण सहित) निर्धारित कर दिया जाय तथा तहसील/विकास खण्ड को भी प्रेषित कर दिया जाये।
  2. सम्बन्धित राजस्व कर्मी का दायित्व होगा कि वह वरासत दर्ज करते ही मृतक का विवरण संबंधित कृषि विभाग के फील्ड अधिकारी को भेजें, जिससे उनका भविष्य की किस्तों का भुगतान रोका जा सके।
  3. कृषि विभाग के अधिकारी/फील्ड लेबल काचारी नियमित रूप से (कम से कम एक पक्ष में एक बार) अपने कार्य क्षेत्र के राजस्व कर्मिर्यो/लेखपाल से ये जानकारी प्राप्त करेगे कि उनके क्षेत्र में अनिवार्यतः कितने कृषक/कृषि भू-स्वामियों की मृत्यु हुई है।
  4. कृषि विभाग के फील्ड कर्मचारी स्वयं भी समय-समय पर अपने विभागीय कार्य हेतु ग्रामों का भ्रमण करते हैं। भ्रमण के समय भी वह इस बात की जानकारी लेंगे कि किसी कृषक की मृत्यु हुई है अथवा नहीं, और ऐसी सूचना होने पर उसका पूर्ण विवरण प्राप्त करेंगे।
  5. मृतक लाभार्थी के आश्रित भी स्वयं मृत्यु की सूचना इस आशा के साय दे सकते हैं कि वारिसों को पीएम किसान के लाभार्थी के रूप में चिन्हित किया जाए।
  6. इस प्रकार विभिन्न स्रोतों से सूचना प्राप्त होने पर मृतक लाभार्थी का जिला स्तर पर ही स्टाप पेमेंट संबंधित उप निदेशक, कार्यालय द्वारा किया जाएगा एवं उस प्रकरण का विवरण साक्ष्य सहित निदेशालय को भेजा जाएगा। जिसके संबंध में पूर्व में भी निर्देश दिए जा चुके हैं और व्यवस्था बनी हुई है।
  7. निदेशालय द्वारा ऐसे प्रकरणों का डेटा डिलीट करते हुए उस लाभार्थी का कारणों सहित सूची से नाम हटा दिया जाएगा जिससे भविष्य में उनका भुगतान रुक सके।

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