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कोविड -19 से खुद को बचाने के लिए अंततः जिम्मेदारी एक डॉक्टर की अपनी है

स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि कोविड -19 से खुद को बचाने के लिए अंततः जिम्मेदारी एक डॉक्टर की अपनी है।

स्वास्थ्य मंत्रालय ने हलफनामे में कहा है कि स्वास्थ्य सुविधा केंद्र में अस्पताल संक्रमण नियंत्रण समिति संक्रमण की रोकथाम और नियंत्रण और स्वास्थ्य कर्मियों की नियमित ट्रेनिंग के लिए जिम्मेदार है संक्रमण से खुद को बचाने और सुरक्षित रखने की अंतिम जिम्मेदारी स्वास्थ्य कर्मियों की ही है ।

सुप्रीम कोर्ट उस जनहित याचिका पर सुनवाई कर रहा है जिसमे फ्रंटलाइन कोविड -19 हेल्थकेयर श्रमिकों के लिए केंद्र के नए दिशानिर्देशों द्वारा उनके लिए 14-दिवसीय अनिवार्य पैसिव क्वारंटाइन को समाप्त कर दिया गया है। एडवोकेट मिठू जैन के माध्यम से एक डॉक्टर द्वारा दायर की गई है।

केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा है कि यह अंततः स्वास्थ्यसेवा कार्यकर्ता है जिन्हें संक्रमण से बचाव के लिए खुद को प्रशिक्षित करने और संक्रमण को रोकने के लिए सभी सावधानी बरतने की आवश्यकता है।

जबकि स्वास्थ्य सुविधा में अस्पताल संक्रमण नियंत्रण समिति संक्रमण की रोकथाम और नियंत्रण गतिविधियों को लागू करने के लिए जिम्मेदार है, लेकिन अंतिम जिम्मेदारी स्वास्थ्यकर्मियों की ही है। यह उनकी जिम्मेदारी है कि वे खुद को प्रशिक्षित करें और संक्रमण को रोकने के लिए सभी उपाय करें।”

स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय

कोई साक्ष्य नहीं ।

केंद्र ने आगे कहा है कि याचिकाकर्ता ने कोई “साक्ष्य” नहीं दिया है, जिससे यह सिद्ध हो कि डॉक्टर पीपीई पहनने के बावजूद कोविड-19 पॉजिटिव निकले और जो निष्कर्ष निकाला गया था वह केवल एक “परिकल्पना” था।

29 मई को जस्टिस अशोक भूषण, एस के कौल और एम आर शाह की खंडपीठ ने रिकॉर्ड पर लंबित याचिका में डॉक्टर द्वारा दायर हलफनामा लिया और सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता को अगले सप्ताह तक केंद्र को जवाब दाखिल करने का समय दिया।अब केस की सुनवाई 12 जून को होगी।

डॉक्टर के वकील ने दलील के शुरू में कोविड-19 से निपटने वाले फ्रंटलाइन हेल्थकेयर स्टाफ के लिए अलग आवासीय सुविधाओं की मांग की ताकि उन्हें अस्पतालों के करीब समायोजित किया जा सके।

तत्पश्चात, अधिवक्ता मिठू जैन और अर्जुन सयाल के माध्यम से एक अन्य हलफनामा दायर किया गया, जो इसी मामले में था, उसमे 15 मई को जारी स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय, केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय, द्वारा “अस्पताल के कोविड और नॉन कोविड क्षेत्र में कार्यरत स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के प्रबंधन के लिए एक एडवाइजरी ” उल्लेख किया । जिसमे हेल्थ केअर वर्कर्स बचाव,आइसोलेशन और क्वारंटाइन का मार्गदर्शन था।

केंद्र ने अपने जवाब में कहा कि अगर स्वास्थ्य कर्मी खुद को सुरक्षित करते हैं, तो वे एक आम आदमी की तुलना में अधिक जोखिम में नहीं हैं। हालांकि, ज्यादा जोखिम वाले मामलों के लिए, नियम में 14-दिवसीय क्वारंटाइन है

7 या 14-दिन की ड्यूटी पर जाने के बाद डॉक्टर के लिए अनिवार्य 14-दिवसीय क्वारंटाइन को खत्म करने पर सरकार का जवाब है कि यह जोखिम मूल्यांकन का तरीका सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल, अटलांटा , अमेरिका द्वारा जारी दिशानिर्देशों के अनुरूप था।

स्वास्थ्य मंत्रालय ने यह भी कहा कि अगर कोई डॉक्टर पीपीई पहनता है, तो वे किसी भी “संभावित जोखिम” और “बाद के संक्रमण” के खिलाफ सुरक्षित रहते हैं। इस प्रकार, जो पीपीई किट पहन रहे हैं, उनके परिवारों, बच्चों या अन्य के लिए कोई जोखिम नहीं है।

अंत मे सरकार नेकहा है कि चूंकि कोविड-19 बढ़ रहा है और अस्पतालों के अलावा रोगियों के लिए अस्थायी चिकित्सा सुविधाएं स्थापित करने की आवश्यकता हो सकती है, रोगियों की बढ़ती संख्या में “हैल्थवर्कर्स के संरक्षण” करने के लिए समय की आवश्यकता थी।