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सरकारी सेवक की बर्खास्तगी

सुप्रीम कोर्ट में कहा, यह नियोक्ता व कर्मचारियों के बीच का मसला।

नई दिल्ली। सभी कर्मचारियों को लॉकडाउन की अवधि का पूरा वेतन देने संबंधी केंद्र सरकार के आदेश को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने वृहस्पतिवार को अपना फैसला सुरक्षित कर लिया।एमएसएमई कंपनियों की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट तो 12 जून को फैसला देगा। लेकिन अब सरकार ने भी रुख बदल लिया है और कहा कि लॉकडाउन अवधि के दौरान श्रमिकों को वेतन का भुगतान नियोक्ता और कर्मचारियों के बीच का मामला है। केंद्र सरकार इसमें हस्तक्षेप नहीं करेगी। कोर्ट में सुनवाई के दौरान अटॉर्नी जनरल ने कहा, हम आर्थिक पहिया चलाना चाहते हैं।

क्या बिना श्रमिकों के काम चल सकता है।

जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस एमआर शाह को पोट ने याचिकाकर्ता कंपनियों को और से पेश वकीलों से कहा, क्या बीर श्रमिक के आप अपना उद्योग वाला सकते हैं? लिहाजा आपको संतुलन बनाकर चलना होगा। यह मसला न तो कामगारों की ओर झुका होना चाहिए और न ही नियोक्ता की और। सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत में कर्मचारियों व ठेके पर काम करने वाले कामगारों के हितों की रक्षा के लिए बीच का रास्ता अपनाने का याचिका दायर कर कहा था कि उनके लिए कर्मचारियों को वेतन देना संभव नहीं है।

कोर्ट में सुनवाई के दौरान अटॉर्नी जनरल ने कहा, हम आर्थिक पहिया चलाना चाहते हैं।

नियोक्ता कर्मचारियों के साथ वार्ता कर सकते हैं कि वह लॉकडाउन के काल का कितना वेतन देंगे। वहीं, कोर्ट ने अपने पुराने आदेश को अगले आदेश तक जारी रखते हुए कहा कि लॉकडाउन काल का वेतन नहीं देने वाले नियोक्ताओं के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई न की जाए।

कोरोना संक्रमण रोकने के लिए देशभर में लागू किए गए लॉकडाउन के दौरान गृह मंत्रलय ने 29 मार्च को सर्कुलर जारी कर कहा था कि लॉकडाउन के दौरान कर्मचारी का वेतन नहीं काटा जाएगा। कंपनियों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर लॉकडाउन के दौरान पूरा वेतन देने के केंद्र के इस सर्कुलर को चुनौती दी है। इस मामले में कुछ अर्जियां कर्मचारियों की ओर से भी डाली गई हैं जिसमें पूरा वेतन देने के आदेश का समर्थन किया गया है।

सुनवाई के दौरान पीठ ने केंद्र की ओर से पेश अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल से कहा कि 29 मार्च के सर्कुलर को लेकर उनकी कुछ शंकाएं हैं।

उच्चतम न्यायालय ने कहा कि तब उन फैक्टरी वालों/ नियोक्ताओं पर कठोर कार्रवाई नहीं होगी, जिन्होंने श्रमिकों को वेतन नहीं दिया है। अदालत कहा कि तीन दिनों में सभी पक्ष अपनी दलीलें दाखिल कर सकते हैं।

असमर्थ नियेक्ता बैलेंस थीट पेश करें : केंद्र

केंद्र ने 29 मार्च के निर्देश को उच्चतम न्यायालय में सही ठहराया है और कहा कि पूरा वेतन देने में असमर्थता व्यक्त करने वाले नियोक्ताओं को न्यायालय में अपनी ऑडिट की हुई बैलेंस शीट तथा खाते पेश करने का निर्देश दिया जाना चाहिए।